
Kerosene Fridge History: रेफ्रिजरेटर का अविष्कार किसने किया? जब बिजली नहीं थी तो मिट्टी के तेल से कैसे चलते थे फ्रिज
मिट्टी के तेल का फ्रिज
हर घर में फ्रिज यानी रेफ्रिजरेटर (Refrigerator) का इस्तेमाल होता है. फ्रिज सब्जियों व अन्य खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाता है. इसके साथ ही पानी ठंडा फिर फ्रीजर में बर्फ व आइसक्रीम भी जमाई जाती है. यह कह सकते हैं फ्रिज भी हम सबके घर का अहम हिस्सा है. क्या आपने कभी केरोसिन से फ्रिज चलने की बात सुनी है. नहीं सुनी तो ऐसा कई दशकों और पुराने जमाने (Olden Times) में होता था. जब बिजली नहीं थी तो मिट्टी के तेल से फ्रिज चलता था.

1918 में फ्रिज का किया गया था अविष्कार
कहा जाता है फ्रिज का अविष्कार (Fridge Invention) कम्प्रेशर के साथ एल्फ्रेड मेलोइस (Alfred Mellowes) ने किया था. उन्होंने सन 1918 में रेफ्रिजरेटर (Refrigerator) का अविष्कार किया था. उन्होंने इसका अविष्कार (Invention) व्यावसायिक रूप में किया था. फ्रिज (Fridge) को हिंदी में प्रशीतक कहा जाता है. जबकि आम बोलचाल की भाषा में रेफ्रिजरेटर को फ्रिज कहते हैं. आमतौर पर फ्रिज का इस्तेमाल हर मौसम में किया जाता है. इसमें खाने की चीजों को सुरक्षित रखने के लिए कम तापमान पर स्टोर किया जाता है, जिससे खाना सुरक्षित रहे.
कैसे चलता था केरोसिन वाला फ्रिज?
बहुत जानकारी जुटाने के बाद सोशल मीडिया पर वीडियोज़ और अन्य जानकारी हाथ लगी है, कि केरोसिन (Kerosin) से आखिर उस वक्त फ्रिज (Fridge) कैसे चलता था. दरअसल जब बिजली नहीं थी तब भी खाद्य पदार्थो को सड़ने से बचाने के लिए उसे फ्रिज में स्टोर किया जाता था. फ्रीजर में बर्फ भी जमाई (Freeze Ice In Freezer) जाती थी. अब आप सोच रहे होंगे कि उस दरमियां बिजली थी नहीं तो फ्रिज कैसे चलता था. दरअसल यह फ्रिज बिजली से नहीं बल्कि केरोसिन यानी मिट्टी के तेल (Kerosin) से चलता था. इसमें नीचे एक 5 या 7 लीटर का टैंक (5 litre Tank) होता था जिसमें मिट्टी का तेल (Kerosin) डाला जाता था.
उसपर चिमनी लगाकर उसमें आग प्रवाहित की जाती थी फिर साइलेंसर के जरिये ऊपर की ओर से धुआं निकलता था. जितना ज्यादा गर्म होता था, उतना ही अंदर ठंडा होना शुरू होता था. फ्रिज के अंदर एक छोटा सा बॉक्स बना हुआ है जिसको फ्रीजर (Freezer) कहते हैं, इसमें बर्फ जमाई जाती थी. इसमें 5 लीटर केरोसिन डालकर इसका प्रयोग एक माह तक किया जा सकता था. कुछ कम्पनियों के ऐसे फ्रिज दिखाई दिए हैं जो केरोसिन से चलते थे.
कई ऐसे लोग हैं जिन्हें यूनिक चीज़ें रखने का है शौक
हिमालक्स और नोबेल कम्पनी ऐसे यूनिक फ्रिज हालांकि ये फ्रिज अब नहीं आतेक्योंकि अब बिजली है इतने ज्यादा संसाधन आ गए हैं कि इन फ्रिज की जरूरत नहीं है. फिर भी जिसके पास अभी इन फ्रिज की पुरानी बॉडी है उनकी डिमांड इसलिए बढ़ी रहती है क्योंकि इस फ्रिज के बारे में काफी जानकारी जुटाई जा सकती है. इस फ्रिज के नीचे चिमनी होती है जिसमे केरोसिन डाला जाता था उसी में बर्नर था. फिर वहाँ से उसे प्लक को घुमाने के बाद स्टीम बनती थी उसकी कैपेसिटी घटाई बढ़ाई जा सकती थी.

केरोसिन फ्रिज अब नहीं आते, मिलेंगे संग्राहलयों में
केरोसिन फ्रिज में पानी, अमोनिया और हाइड्रोजन गैस रखने वाली ट्यूबों और कक्षों का एक सीलबंद नेटवर्क होता है. प्रोपेन लौ पानी और अमोनिया के घोल वाले एक कक्ष को तब तक गर्म करती है जब तक कि तरल उबल न जाए. अमोनिया गैस दूसरे कक्ष, कंडेनसर में बढ़ जाती है, जहां यह वापस तरल में ठंडी हो जाती है. फिर अंदर का वातावरण ठंडा रहता है. आमतौर पर केरोसिन फ्रिज अब स्कूलों व अन्य संग्राहलयों में मिल जाते है. जिनके बारे में स्कूल के बच्चो या अन्य लोगों को बताया जाता है कि एक ऐसा भी फ्रिज था जो मिट्टी के तेल से चला करता था. फिलहाल यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये दी गयी है. इस जानकारी की युगान्तर प्रवाह पुष्टि नहीं करता है.
