Trimbakeshwar Jyotirling Temple : गौतम ऋषि से जुड़ा है त्रयम्बकेश्वर का पौराणिक महत्व, यहां दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
महाराष्ट्र के नासिक में ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित गोदावरी तट पर त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है,मान्यता है यहां काल सर्प दोष के निवारण के लिए भक्त विधि विधान से पूजन करते हैं.यहां मन्दिर के अंदर तीन छोटे आकार के शिवलिंग हैं,जिनमें ब्रह्ना,विष्णु और महेश स्वयं मौजूद हैं.सावन में यहां दर्शन का विशेष महत्व है..
हाईलाइट्स
- 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्रयम्बकेश्वर जो महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है
- सावन के दिनों में विशेष दर्शन का है महत्व, काल सर्प दोष निवारण का विधि विधान से होता है पूजन
- गौतम ऋषि से जुड़ा है महत्व, तीन छोटे आकार के शिवलिंग है,ब्रह्मा,विष्णु और महेश का प्रतीक
Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nashik : श्रावण मास में युगांतर प्रवाह की टीम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करा रहा है.और इनके पौराणिक महत्व व इतिहास को भी विस्तार से बता रहे हैं.आज हम बात करेंगे महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर की जहां गोदावरी नदी तट पर त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है.चलिए बाबा त्रयम्बकेश्वर के दर्शन के साथ ही इस ज्योतिर्लिंग की क्या मान्यता है,क्या कथा प्रचलित है,सब आपको विस्तार से बताएंगे..
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्रयम्बकेश्वर, पूजन से कालसर्प दोष का सटीक निवारण
शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाकर और बेलपत्र अर्पित कर भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं. सच्चे हृदय से शिवजी का पूजन करने वाले भक्तों की मुराद शिव जी जरूर पूरी करते हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग त्रंबकेश्वर भी है. त्रंबकेश्वर महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर में गोदावरी तट पर स्थित है. मान्यता है कालसर्प दोष जिस किसी पर भी होता है यहां पर पूजन कराने से इस दोष का निवारण हो जाता है.
तीन छोटे-छोटे शिवलिंग ब्रह्ना,विष्णु,महेश का प्रतीक
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन छोटे-छोटे शिवलिंग के आकार में है. जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है. रत्न जड़ित त्रिदेव का एक मुकुट भी सजा रहता है.परंपरा के अनुसार इस मुकुट के दर्शन सोमवार के ही दिन कर सकते हैं.बाबा त्र्यंबकेश्वर के अलौकिक अद्भुत दर्शन का श्रावण मास में विशेष महत्व रहता है. दूर-दूर से श्रद्धालू दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
गौतम ऋषि से जुड़ा है पौराणिक महत्व
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व और इतिहास की बात करें, तो इस ज्योतिर्लिंग का महत्व गौतम ऋषि से जुड़ा हुआ है. इस संदर्भ में एक कथा भी प्रचलित है. ऐसा बताया जाता है प्राचीन काल मे अहिल्या के पति गौतम ऋषि की तपस्या से कुछ ब्राह्मण उनसे ईर्ष्या करते थे.एक बार सभी ब्राह्मणों ने एकजुट होकर षड्यंत्र के तहत उन पर गौ हत्या का आरोप मढ़ दिया.गौतम ऋषि इस पाप का प्रायश्चित करना चाहते थे.अन्य ऋषियों ने सलाह दी कि यदि पाप का प्रायश्चित करना है,तो गंगा माता को यहां पर ले आओ.
शिवजी ऋषि की तपस्या से हुए प्रसन्न वही हो गए विराजमान
मन में शंकर जी का भाव लेकर उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की और तपस्या में लीन हो गए. उनकी इस तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और गौतम ऋषि के समक्ष प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए. उन्होंने गौतम जी से वरदान मांगने के लिए कहा, तो ऋषि ने गंगा माँ को यहां लाने का वर मांगा. गंगा मां ने कहा यदि शिवजी यहां पर आएंगे,तो मैं भी हमें सदा के लिए रहूंगी. जिसके बाद शिवजी ने गौतम ऋषि की बात स्वीकार करते हुए वहीं पर विराजमान हो गए.गंगा नदी गौतमी नदी बनकर वहां बहने लगी और शिवजी त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए.
ऐसे पहुंचे त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्लान कर रहे हैं तो आप अपने निजी वाहन या रेल व हवाई यात्रा की सुविधा ले सकते हैं.फ्लाइट मुम्बई या फिर औरंगाबाद तक जाएगी.वहां से टैक्सी करना होगा. नासिक से करीब 32 किलोमीटर त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है.यहां रुकने की भी होटल और लाज हैं.