Nag Panchami Ki Katha: क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार जानें इससे जुड़ी पारौणिक कथा
हिन्दू धर्म के लोग सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाते हैं. इस दिन साँपों की पूजा की जाती है और उनके पीने के लिए दूध भी रखा जाता है. कैसे हुई थी इस पर्व को मनाने की शुरुआत आइए जानते हैं. Nag Panchmi Ki Katha
Nag Panchami: सबसे विषैले जीवों में से एक सांप की भी हिन्दू धर्म में पूजा की जाती है.सांप की पूजा का भी एक दिन निश्चित है.हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है.इसके एक दिन पूर्व यूपी के कुछ इलाकों में नाग चौथ भी मनाई जाती है. और सर्पों के लिए चौथ के दिन भी गाय का दूध रखा जाता है.
नाग पंचमी की शुरुआत कैसे हुई.. Nag Panchami Katha
पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे. जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश बना तो उन्होंने बदला लेने के लिए सर्पों के विनाश का यज्ञ आयोजन शुरू किया.पूरी पृथ्वी के सांप यज्ञ के प्रभाव से समाप्त होने लगे.सांप नागों की रक्षा के लिए ब्रह्म जी के आदेश पर ऋषि आस्तिक मुनि आगे आए.
उन्होंने यज्ञ को रोकवा कर साँपों की रक्षा की. जिस दिन यज्ञ रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी.इस तरह तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया.आग के ताप से नागों को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था.तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी. वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.