Premanand Maharaj ji: भक्त ने सवाल किया महाराज मृत्यु भोज करना चाहिए या नहीं ! प्रेमानन्द महाराज जी ने बताई ये बात

प्रेमानंद महराज प्रवचन

इस संसार में जिसने जन्म लिया है. उसकी मृत्यु निश्चित है हिंदू धर्म और मान्यताओं की माने तो इंसान के शरीर त्यागने के बाद उसकी आत्मा शांति व मोक्ष को लेकर कई विधि-विधान बनाए गए हैं. जिसमें से एक संस्कार तेरहवीं संस्कार यानी मृत्यु भोज (Death Feast) है. अब लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि इस भोज को पाना चाहिए या नहीं. वृंदावन वाले प्रेमानन्द महाराज जी (Premanand Maharaj ji) ने इस बारे में विशेष जानकारी दी है.

Premanand Maharaj ji: भक्त ने सवाल किया महाराज मृत्यु भोज करना चाहिए या नहीं ! प्रेमानन्द महाराज जी ने बताई ये बात
प्रेमानन्द महाराज जी, image credit original source

मृत्यु भोज ग्रहण करना चाहिए या नहीं

वृंदावन (Vrindavan) वाले प्रेमानन्द महाराज (PremaNand Ji Maharaj) को कौन नहीं जानता. सोशल मीडिया पर उनके वीडियो और मोटिवेशनल संदेश लोगों में एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करते हैं. दूर-दूर से उनके दर्शन के लिए लोगों का आना लगा रहता है. भारी संख्या में लोग उन्हें फॉलो भी करते हैं. लोगों के मन में जो सवाल होते है उसका समाधान महाराज जी तत्काल कर देते हैं. एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि क्या किसी की मृत्यु हो जाने के बाद जो संस्कार होते हैं मृत्यु भोज का उसे ग्रहण करना चाहिए या नहीं. अक्सर लोगों के मन में यह संशय बना रहता है जिस पर वह भ्रम की स्थिति में बना रहता है. जिसके बाद प्रेमानंद महाराज जी ने उस भक्त के सवाल का उत्तर देते हुए बताया कि शास्त्रीय कारणों से तो यह निषेध है लेकिन निजी या परिवार में है तो आपको इसका पालन करना होगा.

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मृत्यु भोज, image credit original source

प्रेमानन्द महाराज ने बताई ये बात

वैसे तो सनातन धर्म में मृत्यु भोज की परंपरा नहीं है. शास्त्रों में वैसे तो इस भोज को ग्रहण करना निषेध माना गया है. लोग सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोज कराते हैं और उन्हें दान करते हैं कहा जाता है इससे आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. प्रेमानंद महाराज जी ने बताया कि वैसे तो इस भोज को ग्रहण करना निशेेेध माना गया है. कभी-कभी कुछ ऐसी स्थितियां भी होती हैं जिसमें यह भोज ग्रहण किया जा सकता है.

मिलने जरूर जाएं, मृत्यु भोज कहाँ है यह देखें

उन्होंने बताया कि यह ध्यान देना है की मृत्यु भोज कहां है. समाज में आपका आना-जाना है और लोगों से मिलना जुलना है, गृहस्थ है तो आपको जाना ही होगा जरूर नहीं कि आप वहां पर भोज पाए. केवल मिलकर भी आ सकते हैं. लेकिन यदि परिवार में कोई चीज अगर ऐसी होती है यानी किसी निजी के यहां ये हो रहा है तो फिर ये नहीं चलेगा. जहां 100- 50 लोग शामिल हो रहे हैं तो आपको उसमें जाना ही पड़ेगा. इसके बाद प्रेमानंद जी बताया कि थोड़ा किशमिश वगैरा खा सकते हैं और जहां पर यह भोज पाना है तो वहां चुपचाप अपनी थाली रख लें. इस भोज में जो भी मिले उसे प्रभु का नाम लेकर पा लेना चाहिए.

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