
राजनीति:लोकसभा चुनाव के छठे चरण में यूपी की चौदह सीटों पर युगान्तर प्रवाह का विश्लेषण..कैसा होगा भाजपा के लिए इस चरण मतदान.?
छठे चरण के अंतर्गत यूपी की 14 सीटों पर वोट डाले जाएंगे ये सारी सीटें पूर्वांचल क्षेत्र की हैं.मौजूदा चुनाव में भाजपा को इन सीटों पर गठबंधन से कड़ी टक्कर मिलती हुई दिख रही है..युगान्तर प्रवाह की इस रिपोर्ट में पढ़े हर एक सीट का हाल..

लखनऊ: पांच चरणों के चुनाव समाप्त हो चुके हैं अब मात्र दो चरणों का चुनाव शेष बचा है।छठे चरण का चुनाव 12 मई को होना है और इस चरण में यूपी की 14 सीटों पर वोट डाले जाने हैं।जिन 14 सीटों पर वोट डाले जाने हैं वो सारी पूर्वांचल क्षेत्र की है।2014 के चुनाव में मोदी लहर कुछ ऐसी चली की विरोधी कंहा उड़कर गिरे खुद उनको भी पता नहीं चल पाया था।पूर्वी यूपी की इन 14 सीटों पर 12 सीटें बीजेपी और एक सीट सहयोगी अपना दल के खाते में गई थी और आजमगढ़ की सीट मुलायम सिंह यादव बचाने में सफ़ल हो पाए थे। जबकी कांग्रेस व बसपा का खाता नहीं खुला था।

लेक़िन इस बार भाजपा के लिए 2014 की तरह राह आसान नहीं होने वाली है क्योंकि सपा बसपा और रालोद के मजबूत गठबंधन ने पूरे यूपी में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।भले ही 2014 में मोदी लहर ने सपा बसपा को यूपी से उखाड़ फेंका हो लेक़िन दोनों के मिलने से अब भाजपा के लिए गठबंधन एक बड़ी चुनौती बन गई है।
फूलपुर लोकसभा सीट...
फूलपुर लोकसभा सीट को देश की अति महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में एक गिना जाता है कभी यह सीट देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सीट हुआ करती थी।कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली यह सीट बाद के दिनों में जनता पार्टी और तमाम दूसरे दलों के खाते में जाती रही है लेक़िन इस सीट पर 2014 में पहली बार बीजेपी ने मोदी लहर में कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की और वर्तमान में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इस सीट पर जीत हासिल कर ससंद पहुंचे लेक़िन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब केशव मौर्या को भाजपा ने यूपी की जिम्मेदारी दे दी और उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया गया तो
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जिसके चलते 2018 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और बीजेपी ने यह सीट सपा के हाथों गवां दी।और नागेंद्र सिंह पटेल ने जीत हासिल की लेक़िन 2019 के सियासी संग्राम में सपा ने अपने मौजूदा सांसद नागेंद्र सिंह पटेल का टिकट काटकर पंधारी यादव को उतारा है, जिनका मुकाबला बीजेपी की केशरी देवी पटेल और कांग्रेस के पंकज निरंजन से है।कुर्मी बहुल सीट होने के नाते बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कुर्मी समुदाय से अपना प्रत्याशी बनाया है।जबकि सपा ने यादव पर दांव लगाया है।लेक़िन इस सीट पर मुख्य मुकाबला सपा बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच मे ही है।
इलाहाबाद लोकसभा सीट...
इलाहाबाद लोकसभा सीट की गिनती भी देश की वीवीआईपी सीटों में कई जाती है।यह सीट पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, जनेश्वर मिश्रा, मुरली मनोहर जोशी जैसे कई राजनीतिक दिग्गजों के साथ-साथ बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन की कर्मभूमि रही है।इस बार बीजेपी ने योगी कैबिनेट में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, कांग्रेस ने पूर्व में जनसंघी रहे और वर्तमान में कांग्रेसी नेता योगेश शुक्ला को तो सपा ने राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल उर्फ खरे पर अपना दांव लगाया है।इसके अलावा इस सीट पर आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं किन्नर अखाड़े की महामडलेश्वर भवानी नाथ वाल्मीकि के आने से इलाहाबाद की सीट और अधिक चर्चा में है।2014 में इस सीट पर बीजेपी से चुनाव लड़ संसद पहुंचे श्यामा चरण गुप्ता अब सपा का दामन थाम चुके हैं।ब्राह्मण बहुल सीट पर मुकाबला बेहद ही दिलचस्प नज़र आ रहा है।
आजमगढ़ लोकसभा सीट...
समाजवादियों का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर 2014 में चली मोदी की आंधी भी असर नहीं कर पाई थी और तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जीतकर संसद पहुंचे थे।लेक़िन इस बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ मुलायम की विरासत को आगे ले जाने के लिए तैयार खड़े हैं।
जिनके सामने बीजेपी ने भोजपुरी फिल्मों के हीरो दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनावी मैदान में उतारा है।लेक़िन सपा बसपा गठबंधन और पहले से ही मुलायम परिवार की परम्परागत रही इस सीट पर कमल खिलने की उम्मीद बेहद ही कम नज़र आ रही है।लेक़िन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा ने निरहुआ को उतार अखिलेश के लिए चुनौती जरूर तगड़ी पेश की है।
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट...
प्रतापगढ़ की राजनीति का पहिया राजघरानों और सवर्ण समुदाय के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है।
राजघरानों से यदि सीट बाहर गई तो भी सवर्णों का ही कब्जा रहा। प्रतापगढ़ सीट पर राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जनसत्ता पार्टी के उम्मीदवार हैं।गठबंधन के तहत बसपा के अशोक त्रिपाठी और कांग्रेस की राजकुमारी रत्नासिंह और बीजेपी के संगमलाल गुप्ता चुनावी मैदान में हैं। हालांकि 2014 में यह सीट अपना दल के खाते में गई थी और कुंवर हरिबंश सिंह जीतकर सांसद चुने गए थे।लेक़िन इस बार राजा भैया का नई पार्टी का गठन कर अपना प्रत्याशी उतार देने से मुकाबला सभी दलों के लिए कड़ा हो गया है।
सुल्तानपुर लोकसभा सीट..
पर इस बार बीजेपी ने इस सीट पर एक प्रयोग किया है नेहरू गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी इस बार भाजपा के टिकट पर मैदान पर हैं जबकि इस सीट पर मौजूदा सांसद उनके पुत्र वरुण गांधी हैं।जो इस बार पीलीभीत से चुनावी मैदान में हैं।भाजपा ने इस वरुण और उनकी मां मेनका की सीटों की अदला बदली कर दी है।
सुल्तानपुर से मेनका के सामने कांग्रेस से डॉ संजय सिंह और बसपा से चंद्रभद्र सिंह हैं।पिछले चुनाव में वरुण गांधी ने इस सीट पर 4 लाख 10 हजार के करीब वोट हासिल कर सांसद बने थे।हालांकि उस समय सपा और बसपा अलग-अलग चुनावी मैदान में थे।इस बार के हालात बदले नजर आ रहे हैं। सपा-बसपा एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और 2014 में इन दोनों पार्टियों के वोट मिला दें तो बीजेपी से करीब 50 हजार से ज्यादा होता है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह सीट बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी।
जौनपुर लोकसभा सीट...
जौनपुर की चुनावी जंग बसपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। जौनपुर सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद केपी सिंह को उतारा है।जबकि बसपा ने श्याम सिंह यादव और कांग्रेस ने देवव्रत मिश्र पर दांव लगाया है। 2014 में केपी सिंह ने करीब ढेड़ लाख मतों से जीत दर्ज की थी।हालांकि इस बार के सियासी समीकरण बदले हुए हैं सपा-बसपा एक साथ चुनावी मैदान में है.ऐसे में अगर बसपा और सपा के वोट मिला दें तो बीजेपी से कहीं ज्यादा हो जाता है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह सीट बचाए रखने की बड़ी चुनौती है।
मछ्लीशहर लोकसभा सीट...
जौनपुर जिले की मछलीशहर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रामचरित्र निषाद का टिकट काटकर बीपी सरोज को उतारा है। जबकि बसपा ने त्रिभुवन राम को प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में रामचरित्र निषाद ने पौने दो लाख मतों से जीत हासिल की थी।इस बार के रण में बीजेपी ने बसपा से आए बीपी सरोज पर दांव लगाया है, जिसके चलते रामचरित्र निषाद ने बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है।इस तरह से बदलते राजनीतिक समीकरण में मछलीशहर का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
भदोही लोकसभा सीट...
भदोही की सियासी लड़ाई काफी दिलचस्प होती नजर आ रही है।यहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह रमेश चंद्र बिंद को उतारा है। जबकि बसपा ने रंगनाथ मिश्रा और कांग्रेस ने रमाकांत यादव पर दांव लगाया है।2014 में वीरेंद्र सिंह मस्त ने बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को करीब ढेड़ लाख मतों से मात दी थी।हालांकि उस समय सपा से विजय मिश्रा की बेटी चुनावी मैदान में थी।इस बार के चुनाव में विजय मिश्रा ने बीजेपी के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं।जबकि सपा और बसपा एक हैं, लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह यादव उतारा है उससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
लालगंज लोकसभा सीट...
आजमगढ़ जिले की लालगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।बीजेपी ने यहां से अपनी मौजूदा सांसद नीलम सोनकर को एक बार फिर उतारा है, जिनका मुकाबला बसपा की संगीता आजाद और कांग्रेस के पंकज मोहन सोनकर से है।2014 में बीजेपी पहली बार इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी।इस बार के बदले हुए समीकरण सपा और बसपा एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और दोनों पार्टियों के वोट तो बीजेपी के लिए इस बार की लड़ाई कठिन है। लालगंज सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से चार सीटों पर सपा-बसपा का कब्जा है।
डुमरियागंज लोकसभा सीट...
इस सीट पर जगदंबिका पाल जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे हैं।उनके सामने बसपा से आफताब आलम और कांग्रेस से डॉ. चंद्रेश उपाध्याय खड़े हैं। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले जगदंबिका पाल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में शामिल होकर चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने करीब एक लाख मतों से जीत हासिल की थी।
श्रावस्ती लोकसभा सीट...
इस सीट से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद दद्दन मिश्र को उतारा है।जबकि कांग्रेस ने धीरेन्द्र प्रताप सिंह (धीरू) और बसपा ने राम शिरोमणि वर्मा को उतारा है।2014 में दद्दन मिश्र ने सपा के अतीक अहमद को एक लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार के चुनावी संग्राम में पिछली बार के कई महारथी मैदान में नहीं हैं, लेकिन तीनों मजबूत उम्मीदवार के होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
संतकबीरनगर लोकसभा सीट...
संतकबीर नगर सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर सपा से आए प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है।बसपा ने यहां बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी और कांग्रेस ने भालचंद्र यादव पर दांव लगाया है।इस इलाके के यादव समुदाय के बीच भालचंद्र की मजबूत पकड़ मानी जाती है, जिससे महागठबंधन के रणनीतिकारों की नींद उड़ गई है।
बस्ती लोकसभा सीट...
इस सीट से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी दोबारा टिकट दिया है। जबकि बसपा ने यहां से पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी और कांग्रेस ने राजकिशोर सिंह को मैदान में उतारकर चुनाव मुकाबले त्रिकोणीय बना दिया है।
2014 में राजकिशोर के भाई बृजकिशोर सिंह डिंपल सपा से चुनाव मैदान में उतरे थे, जो बीजेपी के हरीश द्विवेदी से महज 33 हजार वोटों से हार गए थे। इस बार यह सीट गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गई है, जिससे वो नाराज होकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है।इसके चलते यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
अंबेडकरनगर लोकसभा सीट...
यह सीट गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गई है, यहां से पार्टी ने रितेश पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाया है।जबकि बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद हरिओम पांडेय का टिकट काटकर मुकुट विहारी वर्मा पर दांव लगाया है।वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार रहे फूलन देवी के पति उम्मेद सिंह का नामांकन रद्द हो गया है।