Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

Siddhnath Temple Kanpur: सावन स्पेशल-जानिए गंगा किनारे स्थित प्राचीन बाबा सिद्धनाथ मन्दिर का पौराणिक महत्व ! आखिर क्यों 100 यज्ञ नहीं हो सके थे पूरे

Siddhnath Temple Kanpur: सावन स्पेशल-जानिए गंगा किनारे स्थित प्राचीन बाबा सिद्धनाथ मन्दिर का पौराणिक महत्व ! आखिर क्यों 100 यज्ञ नहीं हो सके थे पूरे
कानपुर के जाजमऊ स्थित प्राचीन बाबा सिद्धनाथ मन्दिर का इतिहास

Second Kashi Siddhnath Temple : एक काशी वाराणसी में है जिसे सभी बाबा विश्वनाथ की नगरी कहते हैं,और एक काशी कानपुर में भी है,हालांकि इसे द्वितीय काशी कहा जाता है.कानपुर के गंगा तट पर स्थित बाबा सिद्धनाथ का प्रसिद्ध शिव मंदिर है.यहां आस्था की डुबकी लगाने के बाद भक्त बाबा को बेल पत्र व गंगा जल से अभिषेक करते हैं. आइए आज हम बात करेंगे कानपुर के इस प्रसिद्ध शिव मन्दिर के पौराणिक इतिहास के बारे में..


हाईलाइट्स

  • कानपुर के जाजमऊ स्थित गंगा तट पर है बाबा सिद्धनाथ का प्राचीन मंदिर
  • राजा ययाति से जुड़ा है मन्दिर का इतिहास, 100 यज्ञ के दौरान कौए ने डाली थी हवन कुंड में हड्डी
  • द्वितीय काशी कहा जाने लगा, भक्तों की अपार भीड़ बाबा के दर्शन को उमड़ती है

Baba Siddhnath on the banks of the Ganges : मोक्षदायिनी माँ गंगा की अविरल और निर्मल धारा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद भक्त बाबा सिद्धनाथ को जलाभिषेक कर विधि विधान से पूजन करते हैं,सावन के दिनों में शिव मन्दिर में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है.राजा ययाति से जुड़ा यह मंदिर अपने आप में अलग रहस्य छिपा कर रखा है..युगान्तर प्रवाह आपको सावन के हर दिन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन कराने के साथ ही उनके इतिहास के बारे में बता रहा है .आज चलिए कानपुर के गंगा किनारे स्थित बाबा सिद्धनाथ के धाम और जानेंगे इस मंदिर का पौराणिक रहस्य..

कानपुर के कोतवाल बाबा सिद्धनाथ : फोटो मंदिर

कहा जाता है बाबा सिद्धनाथ को कोतवाल

श्रावण मास भगवान शंकर को सबसे ज्यादा प्रिय है. भोले के भक्त शिवालयों में हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं .सावन के दिनों में विशेष पूजन अर्चन करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. जिससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज हम बात कर रहे हैं कानपुर के जाजमऊ स्थित गंगा किनारे स्थित प्राचीन बाबा सिद्धनाथ मंदिर के बारे में ,मंदिर के इतिहास की अगर बात करें तो इस मंदिर की अपनी एक अलग ही मान्यता है. बाबा सिद्धनाथ को जाजमऊ के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है ये मंदिर

Read More: शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना 2025: हाथी पर सवार होकर आ रहीं हैं मां जगदम्बा ! दस दिन रहेगा पर्व, अद्भुद संयोग

जाजमऊ क्षेत्र चमड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र में मुस्लिम और हिंदुओं की संख्या बराबर है. हमेशा यहां पर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल दिखती है क्योंकि जाजमऊ के कोतवाल बाबा सिद्धनाथ सभी की रक्षा करते हैं.

Read More: सितंबर 2025 व्रत और त्योहार लिस्ट: पितृ पक्ष 2025, अनंत चतुर्दशी, चंद्र ग्रहण और नवरात्रि बनाएंगे महीना खास

त्रेतायुग का ये मंदिर कई रहस्य समेटे

Read More: Dhanteras Me Kya Kharide: धनतेरस में क्या खरीदना होता है शुभ? जानिए शुभ मुहूर्त, धन्वंतरि, कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा से मिलने वाले लाभ

मोक्षदायिनी मां गंगा के पावन तट पर स्थित बाबा सिद्धनाथ का यह मंदिर त्रेतायुग का बताया जाता है. यहां गंगा किनारे एक टीला हुआ करता था और यह टीला राजा ययाति का बताया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक गाय एक निर्जन स्थान पर अपना सारा दूध छोड़ आती थी. चरवाहा यह देख दंग रह जाता था कि आखिर दूध जाता कहां है.राजा ने अपने सेना भेजकर यह जानना चाहा कि गाय आखिर दूध कहां पर छोड़ रही है.निर्जन स्थान पर जाकर देखा तो गाय एक पत्थर पर अपना सारा दूध छोड़ रही थी तभी राजा के मन में आया कि इसकी खुदाई कराई जाए.

कौए ने डाल दी हवन कुंड में हड्डी

खुदाई कराते ही एक शिवलिंग निकला.ऐसा कहा जाता है कि स्वप्न में राजा को भगवान ने कहा था कि यज्ञ करवाएं. राजा ने विधि विधान से यज्ञ कराना शुरू किया लेकिन 99 यज्ञ पूरे हो चुके थे जैसे ही सौवां यज्ञ शुरू होने जा रहा था, तभी एक कौए ने हवनकुंड में हड्डी डाल दी जिसके बाद यह स्थान द्वितीय काशी के नाम से जाना जाने लगा.

बाबा पर बेलपत्र और जलाभिषेक करने से होती है मनोकामना पूर्ण

धीरे-धीरे मंदिर का जीर्णोद्धार होता चला गया.आज बाबा सिद्धनाथ मंदिर को जाजमऊ के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है. श्रावण मास में परिसर में भंडारे का भी आयोजन होता है. यहां पर स्थापित शिवलिंग की गहराई नापने के लिए दो बार खुदाई भी हो चुकी है लेकिन शिवलिंग के अंतिम छोर का पता नहीं चल सका है. यहां पर देश के कोने कोने से भक्त गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. बाबा को बेलपत्र अर्पित और जल से अभिषेक करते है जिससे बाबा प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

Latest News

Fatehpur News: फतेहपुर में लेखपाल आत्महत्या मामले में कानूनगो सहित दो पर मुकदमा. SDM को बचाने के लिए बदली गई तहरीर, शादी के घर मातम Fatehpur News: फतेहपुर में लेखपाल आत्महत्या मामले में कानूनगो सहित दो पर मुकदमा. SDM को बचाने के लिए बदली गई तहरीर, शादी के घर मातम
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में शादी से एक दिन पहले लेखपाल सुधीर कुमार की आत्महत्या मामले में कानूनगो सहित दो...
UP BJP Jila Adhyaksh List: यूपी बीजेपी ने जारी की जिलाध्यक्षों की नई लिस्ट, फतेहपुर में इन्हें मिली कमान
आज का राशिफल 26 नवंबर 2025: भाग्य खुलेगा या बढ़ेगी टेंशन? जानिए आपकी राशि के लिए आज क्या लेकर आया है बुधवार का दिन
Fatehpur News: फतेहपुर में शादी से चंद घंटों पहले लेखपाल ने लगाई फांसी ! इस वजह से अधिकारी बना रहे थे दबाव, मचा हड़कंप
Fatehpur News: जामताड़ा की तरह फतेहपुर बना साइबर क्राइम का गढ़ ! 16 लोगों पर मुकदमा, 3 गिरफ्तार
आज का राशिफल 25 नवंबर 2025: किस्मत का खेल बदलेंगे संकट मोचन ! किसे रहना है सावधान, किसे मिलेगी बड़ी खुशखबरी?
उत्तर प्रदेश में 25 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश: योगी सरकार ने क्यों बदली छुट्टी की तारीख ! जाने बैंक खुले हैं या बंद 

Follow Us