
हलछठ 2020:शुभमुहूर्त और क्यों मनाया जाता है हलछठ का व्रत..क्या है मान्यता जानें सब कुछ..!
हलछठ व्रत त्योहार 9 अगस्त को है..लेक़िन पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ ही देर के लिए है..पढ़ें पूरी खबर युगान्तर प्रवाह पर..
डेस्क:जन्माष्टमी से पहले हलछठ का त्योहार होता है।इस दिन माताएं अपनी संतानों के लिए व्रत रखती हैं और भगवान से उनकी लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती है।हलछठ को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं।कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलरामजी का इस दिन जन्म हुआ था इसी लिए यह व्रत उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है।हल धारण करने के कारण भी बलरामजी को हलधर नाम से भी जाना जाता है।

यह पर्व श्रावण पूर्णिमा के 6 दिन बाद मनाया जाता इसे पूरे भारत में विभिन्न नामों कंही, हलछठ, कंही,चंद्रषष्ठी बलदेव छठ तो कंही रंधन षष्ठी के नाम से जाना जाता है।
उत्तर भारत में ज्यादतर महिलाएं इस दिन दीवाल पर हलछठ माता का चित्र बनाकर पूजा करती हैं।व्रत के दौरान महिलाएं पसाई धान के चावल एवं भैंस के दूध का उपयोग करती हैं।इस दिन गाय के दूध का प्रयोग वर्जित होता है।

इस साल हलछठ का पर्व 9 अगस्त को सुबह 4 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होकर 10 अगस्त की सुबह 6 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।लेक़िन यदि पूजा के मुहूर्त की बात करें तो वह कुछ इस प्रकार है..
शुभ मुहूर्त –
9 अगस्त, रविवार दोपहर 04:25 से शाम 06:13 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग-
9 अगस्त रविवार शाम 07:07 से 8 अगस्त, सोमवार सुबह 05:48 बजे तक।
