दिल्ली में पहली बार बधिर दर्शकों के लिए ‘जीसस’ का ऐतिहासिक प्रदर्शन, 35 शहरों तक पहुंचेगा संदेश

Jesus A Deaf Missions Film
दिल्ली में पहली बार बधिर दर्शकों के लिए खासतौर पर बनी फीचर फिल्म ‘जीसस: ए डेफ मिशन्स फिल्म’ का भव्य प्रीमियर हुआ. यह फिल्म पूरी तरह बधिर फिल्मकारों और कलाकारों द्वारा तैयार की गई है. भारतीय सांकेतिक भाषा और हिंदी वॉयसओवर के साथ बनाई गई इस फिल्म को आने वाले समय में 35 शहरों में प्रदर्शित किया जाएगा.
Jesus A Deaf Missions Film: भारत में बधिर समुदाय को अक्सर मनोरंजन और धार्मिक सामग्री तक पूरी तरह पहुंच नहीं मिल पाती. लेकिन अब इस अंतर को मिटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. राजधानी दिल्ली में ‘जीसस: ए डेफ मिशन्स फिल्म’ का ऐतिहासिक प्रीमियर हुआ, जिसे बधिर दर्शकों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है. फिल्म को भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) और हिंदी वॉयसओवर के साथ पेश किया गया, ताकि हर कोई इसका पूरा आनंद ले सके.
प्रीमियर का ऐतिहासिक पल
24 अगस्त को दिल्ली में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में 250 से अधिक बधिर दर्शक और कई सरकारी अधिकारी शामिल हुए. यह अवसर बधिर समुदाय के लिए बेहद खास रहा, क्योंकि पहली बार उन्हें अपनी "हृदय भाषा" में यीशु मसीह की कहानी बड़े पर्दे पर देखने को मिली.
दर्शकों ने इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव करार दिया. खास बात यह है कि फिल्म का प्रदर्शन सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे जल्द ही भारत के 35 शहरों में दिखाया जाएगा.
निर्देशक और सीईओ का बयान
हमारी कोशिश है कि हर व्यक्ति, चाहे वह सुन सके या न सुन सके, इस संदेश से जुड़ पाए.” उनके इस बयान से साफ है कि यह सिर्फ एक सिनेमाई प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की पहल भी है.
भारत से भावनात्मक जुड़ाव
फिल्म में यीशु की भूमिका निभाने वाले गिदोन फ़र्ल ने भारत के साथ अपने भावनात्मक जुड़ाव को साझा किया. उन्होंने कहा, “भारत मेरे दिल में हमेशा खास जगह रखता है. यहां के बधिर समुदाय को यह संदेश देना मेरे लिए गर्व और भावुक कर देने वाला अनुभव है.” उनके इस बयान के बाद प्रीमियर में मौजूद बधिर दर्शक भावुक हो उठे और कई लोगों ने तालियों की गूंज के साथ उनका स्वागत किया.
साझेदारी से साकार हुआ सपना
इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट को भारत में लाने का श्रेय डेफ मिशन्स और मुंबई स्थित इंडिया साइनिंग हैंड्स (ISH) की साझेदारी को जाता है. आईएसएच के संस्थापक आलोक केजरीवाल ने कहा, “हमारा मानना है कि हर फिल्म सबके लिए सुलभ होनी चाहिए. हमने पहले ‘लिटिल कृष्णा’ को बधिर दर्शकों तक पहुंचाया था और अब ‘जीसस’ को लाना हमारे लिए गौरव की बात है.” इस साझेदारी ने साबित कर दिया कि जब संगठन मिलकर काम करते हैं, तो बड़ी बाधाओं को भी आसानी से पार किया जा सकता है.
क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण
भारत में लाखों बधिर लोग हैं, जिन्हें सामान्य फिल्मों और धार्मिक सामग्री तक पूरी तरह पहुंच नहीं मिल पाती. संवाद और ध्वनि पर आधारित कंटेंट उनके लिए बाधा बनता है. ‘जीसस: ए डेफ मिशन्स फिल्म’ इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक अहम पहल है.
इसमें भारतीय सांकेतिक भाषा की व्याख्या, हिंदी वॉयसओवर और विशेष साउंडट्रैक जोड़ा गया है, ताकि हर दर्शक समान रूप से फिल्म का अनुभव कर सके. यह कदम न सिर्फ मनोरंजन बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहुंच को भी लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.