फतेहपुर:कांग्रेस के अंदर ही अलग थलग पड़े सचान.?प्रियंका के दूसरे दौरे को लेकर भी नहीं दिख रहा कांग्रेसियो में उत्साह.!
ज़िले में पांचवें चरण के अंतर्गत यानी 6 मई को वोट डाले जाएंगे,जिसके चलते सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव प्रचार में जी जान लगाए हुए हैं..कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी महीने भर के अंदर दोबारा बार ज़िले में बुधवार को आ रही हैं..पर उनके दौरे क्या प्रत्यासी राकेश सचान के पक्ष में चुनावी माहौल बना पाएंगे..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट।
फतेहपुर: लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण की मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।अब सभी राजनीतिक दल चौथे और पांचवे चरण वाली लोकसभा सीटों के लिए प्रचार अभियान तेज किए हुए हैं।चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी अपने लोकसभा क्षेत्रो में अधिक से अधिक अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की जनसभाओं व रोड शो कराने को लेकर परेशान हैं।
फतेहपुर से कांग्रेस प्रत्याशी राकेश सचान भी अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने को लेकर संघर्षरत हैं और महीने भर के अंदर ही ज़िले में प्रियंका गांधी का दूसरा कार्यक्रम लाने में सफल हो गए हैं। पर अब तक राकेश के पक्ष में उस तरह का चुनावी माहौल बनता दिख नहीं रहा जैसी वो उम्मीद किए बैठे हुए हैं।
प्रियंका के करीब 7 घण्टे तक ज़िले में रहने के बावजूद नहीं एकजुट हो सके थे कांग्रेसी...
प्रियंका गांधी ने ज़िले में अपना पहला दौरा क़रीब 20 दिनों पहले ही किया था और लगभग 2 तिहाई जनपद को नुक्कड सभाओं,महिला संवाद और रोड शो के ज़रिए मथा था।लेक़िन उस वक़्त भी प्रियंका का हाई प्रोफाइल ग्लैमर कांग्रेसियो को एकजुट करने में सफल नहीं हो पाया था। हालत ये थी कि जनपद के विभिन्न गांवों और कस्बो में हुई प्रियंका की नुक्कड़ सभाओं में बमुश्किल उंगलियों में गिन लिए जाने वाली भीड़ ही सचान इकठ्ठा कर पाए थे।सचान के लिए गनीमत यह थी कि प्रियंका का काफ़िला जब शहर क्षेत्र में घुसा था तो कुछ शहरवासी रोड में प्रियंका का दीदार करने के लिए आ गए थे।अन्यथा प्रियंका को अपने पहले फतेहपुर दौरे में मायूस होकर ही लौटना पड़ता। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि राकेश सचान को प्रियंका के पहले दौरे में भीड़ जुटाने के लिए अपने गृह नगर से भी लोग बुलाने पड़े थे।
प्रियंका के दूसरे दौरे में भीड़ जुटाने का अतिरिक्त दबाव...
प्रियंका के पहले दौरे में बेहद ही कम रही भीड़ ने कांग्रेस प्रत्यासी राकेश सचान की चिंता को बढ़ा दिया था।जिसके चलते यह कयास उस वक़्त ही लगाए जा रहे थे सचान किसी भी क़ीमत पर प्रियंका का दूसरा दौरा ज़िले में कराएंगे और वह सफ़ल भी हुए अब जबकि प्रियंका बुधवार को एक बार फ़िर ज़िले की दो अलग-अलग विधानसभाओं में चुनावी जनसभाओं की संबोधित करने के लिए आ रही हैं तो प्रत्याशी के साथ-साथ स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के ऊपर भी जनसभाओं में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने का अतिरिक्त दबाव होगा। लेक़िन स्थानीय पार्टी नेताओं की राकेश सचान से दूरी अभी भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।गौरतलब है कि बुधवार को प्रियंका पहले खागा और फ़िर गाजीपुर क़स्बे में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगी।
कांग्रेसी होकर भी समाजवादी बनकर रह गए हैं सचान...
सपा बसपा गठबंधन के बाद बसपा कोटे में गई ज़िले की लोकसभा सीट पर सुखदेव वर्मा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद राकेश सचान ने लगभग तीन दशक तक समाजवादी पार्टी में रहने के बाद पलटी मार दी और कांग्रेस में शामिल होकर लोकसभा का टिकट हथिया लाए।राकेश के टिकट पाते ही ज़िले के मूल कांग्रेसी नेता शीर्ष नेतृत्व से खासा खफ़ा हो गए और आज भी ज़िले का एक बड़ा कांग्रेसी तबका राकेश के चुनाव में पूरे मन से जुड़ाव नहीं कर पाया है।जिले के कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि सचान अब तक पूर्ण कांग्रेसी ही नहीं बन पा रहे हैं और उनका रवैया अब तक समाजवादी पार्टी की विचारधारा से ही प्रेरित लग रहा है।कुछ युवा कांग्रेसी नेताओं ने तो दबी ज़बान यह तक कह दिया कि राकेश सचान को प्रत्याशी घोषित कर पार्टी ने अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने का काम किया है।
जब छलक पड़ा था सचान का दर्द...
टिकट न मिलने के चलते कांग्रेस में शामिल होकर टिकट लाए राकेश सचान ने क़रीब महीने भर पहले एक प्रेस वार्ता कर यह जताने की कोशिश की थी कि वह अभी भी समाजवादी हैं और वह कांग्रेस में तब शामिल हुए जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अपनी प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह के वह बहुत क़रीबी हैं और मुलायम का बस चलता तो उन्हें फतेहपुर लोकसभा सीट से सपा सिंबल से चुनाव लड़ने को जरूर मिलता इस प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने अखिलेश के ऊपर मुलायम सिंह का अपमान करने का भी आरोप लगाया था।
अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी का ज़िले में होने वाला दूसरा दौरा क्या ज़िले की जनता को राकेश सचान के पक्ष में मोड़ने में सफल हो पाएगा या राकेश पहले की तरह ही अपनी पार्टी के अंदर ही अलग थलग पड़े रहेंगे..?