फतेहपुर:इंजीनियर हत्याकांड-अजय कुमार की हत्या में जीएमआर की भी भूमिका संदिग्ध! ख़ुलासे के मुहाने पर खड़ी पुलिस.!
इंजीनियर अजय कुमार की हत्या हुए अब पूरे 6 दिन बीत चुके हैं लेक़िन अब तक पुलिस इस सनसनीखेज केस का खुलासा करने में नाकाम साबित हुई है..पढ़े इस सनसनीखेज वारदात पर युगान्तर प्रवाह की फॉलोअप रिपोर्ट।
फतेहपुर: इंजीनियर अजय कुमार की हत्या की वजह अब तक पूरी तरह से साफ़ नहीं हुई है।पुलिस भले ही शुरू से इस हत्याकांड के पीछे ठेकेदारों का हाँथ होना मानकर चल रही हो लेक़िन अब तक पुलिस इस हत्याकांड में किसी ठोस नतीज़े पर नहीं पहुंच पाई है।हालांकि सूत्रों की माने तो अब तक पुलिस ने क़रीब आधा सैकड़ा लोगों से पूछताछ की है और तीन संदिग्धों को हिरासत में भी लिया है जिनसे लगातार पूछताछ जारी है।
इस घटना में यह भी कहा जा रहा है कि इस हत्याकांड के पीछे इंजीनियर अजय कुमार के गृह जनपद के ही ठेकेदार का हाँथ है।लेक़िन अब तक पुलिस उस ठेकेदार तक पहुंचने में नाकाम साबित हुई है।अब इसे क़ातिल का शातिरपना माने या पुलिस की नाकामी।बात चाहे जो भी हो लेक़िन इतने दिन बीत जाने के बावजूद हत्यारों तक पुलिस का न पहुँचना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। इस हत्याकांड को लेकर लगाई गई पुलिस की टीमें दिन रात हाँथ पैर भले ही मार रहीं हो लेक़िन खुलासा न होने के चलते अजय कुमार के परिजनों का गुस्सा पुलिस के खिलाफ बढ़ता जा रहा है।
जीएमआर के अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध.?
रेलवे के चल रहे दोहरीकरण के काम का सुपर विजन करने वाली सिस्टा कम्पनी के इंजीनियर अजय कुमार की बीते मंगलवार(14 मई) को उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब वह एकारी नाका के पास बने जीएमआर प्लांट पर जा रहे थे।घटना को जिस प्रकार से अंजाम दिया गया उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कई दिन पहले से इसकी रूप रेखा तैयार की जा रही थी। आपको बतादें कि जीएमआर कम्पनी द्वारा किया जा रहा यह काम डीएफसीसी का एक प्रोजेक्ट है। दरअसल डीएफसीसी रेलमंत्रालय के आधीन भारत सरकार का एक उपक्रम है जो रेलवे के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए रेलवे मालभाड़ा ट्रैक का निर्माण करती है।
कई वर्ष पहले डीएफसीसी प्रोजेक्ट को लेकर भारत सरकार और जापान में एक संधि हुई थी जिसके बाद विश्व बैंक इस कार्य में पैसा लगा रहा है। बताया जा रहा है कि जिस तरह डीएफसीसी ने दिल्ली-हावड़ा रुट और दिल्ली-मुंबई रुट में रेलवे के काम के लिए कई कंपनियों को टेंडर दिया है उसी तरह उस कम्पनी के काम की गुणवत्ता जांचने के लिए सिस्टा कंपनी को प्रोजेक्ट दिया है और अजय कुमार उसी सिस्टा कम्पनी के एक इंजीनियर थे।इस हत्याकांड से भले ही जीएमआर अपने आप को अलग कर रही हो लेक़िन कहीं न कहीं अजय कुमार की ईमानदारी वाली छवि ठेकेदारों के साथ-साथ जीएमआर में तैनात अधिकारियों को भी खटकती रही होगी।
ग़ौरतलब है कि रेलवे के दोहरीकरण के अंतर्गत बन रहे सभी प्रकार के ब्रिजों को भले ही जीएमआर कम्पनी पेटी कांट्रेक्टर के माध्यम से बनवा रही हो लेक़िन उसके निर्माण में लगने वाली सारी सामग्री जीएमआर ही उपलब्ध कराती थी।ठेकेदार केवल उसमें लगने वाले मजदूरों और सटरिंग का ही इंतजाम करते थे।अब जबकि जीएमआर बनने वाले ब्रिजों के लिए सामान उपलब्ध कराती थी तो उसकी गुणवत्ता अच्छी है या खराब इसकी जिम्मेदारी भी जीएमआर की थी।क्योंकि मैटेरियल मिश्रण से लेकर सभी कार्य जीएमआर के इंजीनियर और सिस्टा के इंजीनियर के सामने होते थे। सूत्र बताते हैं कि इंजीनियर अजय कुमार की ठेकेदारों के साथ-साथ जीएमआर के अधिकारियो से भी कई बार मानक के अनुसार सामग्री न देने के चलते बहस हो चुकी थी।अब इस हत्याकांड के पीछे क्या वजह थी और किसने इस वारदात को अंजाम दिया इसका खुलासा तो क़ातिलों के पकड़ने के बाद ही हो पाएगा।
ठेकेदार को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम फिरोजाबाद में डटी...
जिस ठेकेदार की पुलिस इस हत्याकांड का सबसे बड़ा संदिग्ध मान रही है।वह अब तक पुलिस के पकड़ से दूर है।दिन रात ठेकेदार की तलाश में जुटी पुलिस ने अब फिरोजाबाद ज़िले में ठेकेदार के छिपे होने की सूचना पर डेरा डाले हुए है।