फतेहपुर:प्रबंध समिति के पदाधिकारियों के फ़र्जी हस्ताक्षर कर महाविद्यालय में की गई नियुक्तियां..प्रदीप गर्ग पर लगे आरोप!
शांतिनगर स्थित श्री नारायण नागा निरंकारी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में 2017 में कुछ पदों पर हुई नियुक्तियों में कथित रूप से गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है...पढ़े पूरी ख़बर युगान्तर प्रवाह पर।
फतेहपुर:ज़िले में एक बड़े भ्रष्टाचार की कहानी की स्क्रिप्ट साल 2017 में ही रख दी गई थी।जिसकी जांच लगातार 2 सालों से जारी है।धीरे धीरे अब इस महाघोटाले कि परते खुलने लगीं हैं।
मामला ज़िले के एक संस्कृत महाविद्यालय में साल 2017 में हुई कुछ नियुक्तियों का है।इन नियुक्तियों को लेकर महाविद्यालय के तथाकथित प्रबंधक प्रदीप गर्ग पर कथित रूप से नियुक्तियों के बदले मोटी रकम लेने का आरोप लगा है।
क्या है पूरा मामला..
श्री नारायण नागा निरंकारी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय फतेहपुर में साल 2017 में कुछ पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं।लेक़िन इन नियुक्तियों में भारी अनियमता बरती गई जिसके चलते नियुक्ति की सारी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई।
अब महाविद्यालय की प्रबंध कमेटी ने भी विद्यालय के तथाकथित प्रबंधक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
युगान्तर प्रवाह से बातचीत करते हुए डॉक्टर श्याम बिहारी श्रीवास्तव ने बताया कि मुझे विद्यालय की प्रबंध समिति ने प्रबंधक बनाया है।उन्होंने यह भी बताया कि प्रदीप गर्ग नाम का व्यक्ति फ़र्जी तरीक़े से प्रबंध समिति में घुस आया साथ ही उसने समिति के पदाधिकारियों के फ़र्जी हस्ताक्षर कर महाविद्यालय में नियुक्तियां कर दी।महाविद्यालय के प्रबंधक श्याम बिहारी श्रीवास्तव ने आगे कहा कि-'प्रदीप गर्ग ने बहुत ही गंदा काम किया है अब उसके पाप का घड़ा भर चुका है।'
ये भी पढ़े-फतेहपुर:बाँके बिहारी प्रकरण:मन्दिर के लिए सड़क पर उतर आंदोलन करेगा बजरंग दल-शानू सिंह!
महाविद्यालय के वर्तमान प्राचार्य शिवचरण त्रिपाठी ने भी नियुक्तियों को लेकर सवाल खड़े किए उन्होंने बताया कि यह नियुक्तियां पूरी तरह से नियमो को ताक पर रखकर की गई हैं।प्राचार्य ने यह भी बताया कि गुंडों द्वारा जान से मारने की धमकी दिलवाकर उनसे ज़बरन हस्ताक्षर करवाए गए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इस वक़्त पूरे शहर में यह चर्चा आम है कि महाविद्यालय में नियुक्ति के नाम पर प्रत्येक पद के लिए 20 से 25 लाख रुपए वसूले गए हैं।
इतना ही नही विद्यालय की प्रबंध समिति के ज्यादातर सदस्य और पदाधिकारी इस बात से सबसे ज्यादा हैरान हैं कि प्रदीप गर्ग नाम का व्यक्ति कभी भी इस संस्था से जुड़ा नहीं रहा है अब यह विद्यालय की प्रबंध समिति में कब आकर तथाकथित प्रबन्धक बन गया अपने आप मे ये बड़ा सवाल है।