Mahakaleshwar Jyotirlinga : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जहां काल भी हांथ जोड़े खड़ा है, जानिए उज्जैन के राजा का पौराणिक महत्व
शिवजी के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर भी है.यह तीसरा ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के पास स्थित है. यहाँ ऐसी मान्यता है कि दर्शन करने वाले भक्तों की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है.यह भारत का एक मात्र दक्षिणमुखी विशाल ज्योतिर्लिंग है. जिसे काल का स्वामी कहा जाता है.इसलिए यह मंदिर महाकाल के नाम से भी जाना जाता है.

हाईलाइट्स
- 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध तीसरे ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की अद्धभुत महिमा
- दर्शन करने मात्र से ही सभी बाधाएं होती हैं दूर, अकाल मृत्यु का टल जाता है संकट
- मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, यहां कोई भी राजा एक रात नहीं रुक सकता
Famous Jyotirling Mahakaleshwar is in Ujjain : आज हम आपको तीसरे ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के पौराणिक महत्व के बारे में बताएंगे. इस मंदिर से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. और कहा जाता है कि यहां कोई भी राजा रात में नहीं रुक सकता. क्योंकि महाकाल ही यहां के राजा हैं. यहां दर्शन करने मात्र से ही अकाल मृत्यु का संकट भी टल जाता है.आइए मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर के इस ज्योतिर्लिंग की क्या मान्यता है और क्यों कहा जाता है महाकाल. चलिए युगान्तर प्रवाह की टीम आप सभी पाठकों को महाकाल के दर्शन कराने के साथ ही, इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व के बारे में भी बताएगी.
महाकाल ज्योतिर्लिंग की अद्धभुत महिमा,महाकाल भक्तों के दुखों का करते हैं निवारण
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के किनारे स्थित है. हजारों वर्ष पुराना यह ज्योतिर्लिंग जो द्वापर युग का बताया जाता है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष मान्यता है.आम दिनों में लाखों की भीड़ उमड़ती है और सावन में खासतौर पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है. सोमवार को भोलेनाथ की सवारी भी निकलती है. महाकाल के दर्शन कर भोलेनाथ सभी के दुख और दर्द को दूर करते हैं.अब यहां मन्दिर प्रांगण का कायाकल्प हो चुका है कॉरिडोर बन जाने से मन्दिर अलग ही नए स्वरूप में दिखाई देता है. मंदिर में विशाल शिवलिंग दक्षिणमुखी रूप में स्थापित है.इसलिए इसे महाकाल कहा जाता है.
तीन खंडों में विभाजित है यह मंदिर
मन्दिर का विस्तार राजा विक्रमादित्य के शासन काल मे हुआ था.महाकालेश्वर मंदिर तीन जगह विभाजित है.नीचे खण्ड में महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर, और ऊपर श्री नागचन्द्रेश्वर मन्दिर है.नागचंद्रेश्वर के दर्शन केवल नाग पंचमी को ही होते हैं.महाकाल के गर्भगृह में माता पार्वती,गणेश और कार्तिकेय जी की प्रतिमाएं भी हैं. महाकाल की सुबह 3 बजे की भस्म आरती का विशेष महत्व है.
महाकाल की भस्म आरती का विशेष महत्व
सुबह की भस्म आरती का विशेष महत्व है.हालांकि आरती में शामिल होना आसान नहीं है.क्योंकि इसके लिए टोकन लगता है. पहले भस्मारती शमशान में जली चिताओं की राख से होती थी,अब कंडे के उपलों से भस्म आरती की जाती है.भस्म आरती के लिए केवल मन्दिर के ही पुजारी कर सकते हैं. वे भी पूर्ण शुद्धता के साथ, सुबह सबसे पहले भगवान को जगाने के लिए घण्टी बजाई जाती है.फिर वीरभद्र की पूजा होती है और अंदर आने की अनुमति ली जाती है.ततपश्चात भस्म आरती शुरू होती है. सावन के सोमवार को ढाई बजे से वैसे 3 बजे से आरती शुरू होती है.
उज्जैन में कोई भी राजा एक रात नहीं बिता सकता
ऐसा भी कहा जाता है यहां कोई भी राजा एक रात नहीं बिता सकता.यदि ऐसा हुआ तो कोई न कोई अनहोनी अवश्य होती है. क्योंकि यहां उज्जैन नगरी के राजा केवल महाकाल ही हैं.महाकाल मन्दिर के सामने से बारात भी नहीं निकल सकती है.यहां पीएम से लेकर सीएम तक रात में नहीं रुकते हैं.राजा विक्रमादित्य के बाद से ही यहां कोई राजा एक रात नहीं रुक सका है.
राजा चंद्रसेन से जुड़ा है महाकाल का इतिहास
ऐसा कहा जाता है उज्जैन के राजा चंद्रसेन यहां राज्य करते थे. वह शिव के अनन्त और सच्चे भक्त थे. एक राक्षस दूषण ने चंद्रसेन के राज्य पर हमला किया.तब चंद्र सेन ने भोलेनाथ से रक्षा की प्रार्थना की थी.भोलेनाथ चंद्रसेन के पूजन से प्रसन्न हुए. शिव की धरती फाड़ कर प्रकट हुए और दूषण राक्षस का संहार करते हुए वही विराजमान हो गए.तबसे यह स्थान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया.महाकाल के दर्शन करने के बाद काल भैरव के दर्शन भी जरूर करें.इसके साथ ही उज्जैन में कई और भी मंदिर है जिनकी अलग मान्यताएं हैं.
कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए यदि दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं, तो पैकेज भी ले सकते हैं. हवाई सेवा और ट्रेन सेवा के सुगम साधन भी उपलब्ध हैं.वहीं बसें भी बराबर जाती हैं.आप अपने निजी वाहन से भी महाकाल के दर्शन करने जा सकते हैं. महाकाल के दर्शन के लिए गर्भगृह में जाने के लिए 1500 रुपये की रसीद कटवानी पड़ती है जो दो लोगों के लिए मान्य है.सुबह 6 बजे से ही दर्शन के लिए पट खुल जाते हैं.