Nagchandreshwar Mandir: साल में केवल Nag Panchami के दिन ही खुलता है नागचंद्रेश्वर का कपाट ! दुर्लभ होते हैं दर्शन, दूर होता है काल सर्प योग
उज्जैन नगरी में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की अद्धभुत मान्यता है.ठीक ऊपर एक नागों का मंदिर भी है.जो साल में एक बार यानी नागपंचमी को खुलता है.नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा.यहां रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर मन्दिर के पट खुल जाते हैं.यहां तीन अलग-अलग समय मे पूजा की जाती है.
हाईलाइट्स
- नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा,सर्पों की होती है पूजा
- उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के ऊपर है नागचंद्रेश्वर मन्दिर
- साल में नागपंचमी के दिन खुलते हैं पट,फिर हो जाते साल भर के लिए बंद
Nagchandreshwar temple is just above the Mahakal temple : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी पर्व मनाया जाता है.उज्जैन धार्मिक नगरी में महाकाल मंदिर के दर्शन का तो विशेष महत्व है.यहां स्थित नागों का मंदिर जिसकी भक्तो में गहन आस्था है.साल में यह मंदिर नागपंचमी को ही खुलता है और फिर साल भर के लिए बंद हो जाता है.आपको बताते हैं इस नाग मन्दिर के बारे में इस मन्दिर के पीछे एक कथा भी प्रचलित है..
नागचंद्रेश्वर मन्दिर के दर्शन का है विशेष महत्व
हमारे सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति में बहुत से पर्व बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं.जिनका विशेष महत्व होता है.श्रावण मास चल रहा है और इस बीच नागपंचमी पर्व का महत्व और ज्यादा विशेष हो जाता है.21 अगस्त को देश भर में नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा.मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के ठीक ऊपर एक ऐसा नागों का मंदिर है.जो नागपंचमी के दिन खुलता है.यह मंदिर नागचन्द्रेश्वर मन्दिर के नाम से जाना जाता है.
त्रिकाल पूजा का नागचंद्रेश्वर मन्दिर में महत्व
खास बात यह है इस मंदिर की नागचंद्रेश्वर मन्दिर 20 अगस्त की रात्रि 12 बजे पट खुल जाते हैं. और 21 अगस्त रात 12 बजे वापस साल भर के लिए पट बंद कर दिए जाएंगे.नागपंचमी के दिन यहां त्रिकाल पूजा का महत्व है.त्रिकाल पूजा का मतलब हुआ तीन अलग-अलग समय में पूजन होता है.पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है. दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है, और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है.
सर्पों के राजा तक्षक से जुड़ी है कथा प्रचलित
नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर एक कथा भी प्रचलित हैं,सर्पों के राजा तक्षक ने शिव जी की कठिन तपस्या की थी.तक्षक के तप से शिव जी प्रसन्न हुए थे.शिव जी ने तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. तबसे तक्षक राजा यही शिव जी के सानिध्य में हैं.भगवान ने कहा था हमारे ध्यान में कोई विघ्न न हो.तबसे तक्षक राजा के पट साल में केवल नागपंचमी के दिन खुलते हैं.और फिर साल भर के लिए पट बंद कर दिए जाते हैं.दूर-दूर से भक्त इस दिन यहां नाग चन्द्रेश्वर मन्दिर के दर्शन करने पहुँचते हैं.कहा जाता है नागपंचमी के दिन महाकाल के दर्शन के साथ नागचंद्रेश्वर के दर्शन का महत्व बढ़ जाता है.