Sindoor Lal Chadhayo Aarti PDF: शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को आरती लिरिक्स, गणेश जी इस आरती से दूर होते हैं कष्ट

Ganesh Ji Ki Aarti
श्रीगणेश की आरती "शेंदूर लाल चढ़ायो गजमुख को" भक्तों के लिए श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है. यह आरती न केवल गणपति बप्पा की महिमा का बखान करती है बल्कि हर भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है.
Sindoor Lal Chadhayo Aarti PDF: श्रीगणेश की आरती "शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को" हिंदू धार्मिक परंपराओं में सबसे लोकप्रिय और पूजनीय आरतियों में से एक मानी जाती है.
यह आरती गणपति बप्पा की भव्यता, कृपा और सिद्धि का वर्णन करती है. भक्त जब पूरे भाव से इस आरती का पाठ करते हैं तो माना जाता है कि जीवन से सभी विघ्न दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है.
श्री गणेश की आरती (Shendur Lal Chadhayo)
शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को.
हाथ लिए गुड़ लड्डू सांई सुरवर को.
महिमा कहे न जाय लागत हूं पाद को.
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदाता,
धन्य तुम्हारा दर्शन.
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव.
अष्टौ सिद्धि दासी संकट को बैरि.
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी.
कोटी सूरज प्रकाश ऐबी छबि तेरी.
गंडस्थल मदमस्तक झूले शशि बिहारी.
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदाता,
धन्य तुम्हारा दर्शन.
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव.
भाव-भगत से कोई शरणागत आवे.
संतत संपत सबही भरपूर पावे.
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे.
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे.
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज.
विद्या सुखदाता,
धन्य तुम्हारा दर्शन.
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव.
शेंदूर लाल से सजे गजमुख गणपति का दिव्य स्वरूप
इस आरती की पहली पंक्ति "शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को" सीधे-सीधे भगवान गणेश की भव्य और अद्वितीय छवि को प्रस्तुत करती है. शेंदूर का लाल रंग शक्ति, ऊर्जा और मंगल का प्रतीक माना जाता है.
गजमुख वाले गणपति को शेंदूर चढ़ाकर आराधना करने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और भक्तों को आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है.
गुड़-लड्डू प्रिय गणेश और भक्तों का समर्पण
आरती में उल्लेख है कि गणेश जी हाथों में गुड़-लड्डू धारण किए हुए हैं. यह प्रतीक है उनकी सरलता और भक्तों के प्रति प्रेम का. गुड़-लड्डू को गणपति का प्रिय भोग माना जाता है.
और इसे अर्पित करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस पंक्ति में भगवान गणेश के स्नेहपूर्ण स्वरूप की झलक दिखाई देती है, जो भक्तों के मन को भाव-विभोर कर देती है.
विघ्नहर्ता गणेश और आठों सिद्धियां
आरती की दूसरी कड़ी में भगवान गणेश को "अष्टौ सिद्धि दासी, संकट को बैरि" कहा गया है. यह दर्शाता है कि गणपति जी आठों सिद्धियों के स्वामी हैं और उनके भक्तों के जीवन से सभी बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं.
कठिन से कठिन परिस्थिति में गणपति की आराधना करने से भक्तों को राह मिलती है और उनका आत्मविश्वास और मजबूत होता है.
भक्त की पुकार पर सदा तैयार रहते हैं गणपति
"भाव-भगत से कोई शरणागत आवे, संतत संपत सबही भरपूर पावे" पंक्ति यह बताती है कि गणेश जी सच्चे भाव से की गई पुकार को तुरंत सुनते हैं.
यदि कोई भक्त पूरे मन से उनके चरणों में शरण लेता है, तो गणपति उसे ज्ञान, धन और सुख-संपत्ति से परिपूर्ण कर देते हैं. यह विश्वास ही इस आरती को भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय बनाता है.
आरती का महत्व और आध्यात्मिक अनुभव
गणेश आरती का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है. इस आरती को गाने और सुनने से भक्त का मन पवित्र होता है, घर में शांति का वातावरण बनता है और नकारात्मक ऊर्जा स्वतः ही नष्ट हो जाती है. "जय देव जय देव" की गूंज वातावरण में ऊर्जा का संचार करती है और भक्त के जीवन को नई दिशा प्रदान करती है.