Bamdeveshwar Temple : बुंदेलखंड क्षेत्र के आस्था का केंद्र बिंदु है प्राचीन बामदेवेश्वर शिव मंदिर, जानिए इसका पौराणिक महत्व
उत्तर प्रदेश के बांदा में पहाड़ियों पर प्राचीन बामदेवेश्वर मंदिर है.जिसका रहस्य अनोखा और चमत्कारी है.यहां शिवलिंग एक गुफा में है. जिसे स्थापित नहीं किया गया बल्कि महर्षि वामदेव के तप के बाद शिवलिंग प्रकट हुआ था.यहां रात में सर्प भी आते हैं.यह शिवलिंग रामायणकाल से जुड़ा हुआ है. बुंदेलखंड क्षेत्र में इस शिव मन्दिर की भक्तों में गहन आस्था है.कहते हैं यहां सच्चे मन से दर्शन करने वाले भक्तों की बाबा मनोकामना पूर्ण करते हैं.श्रावण मास में भक्तों का सैलाब उमड़ता है.

हाईलाइट्स
- बाँदा में है प्राचीन बाम्बेश्वर महादेव मन्दिर,शिव मंदिर का अनोखा रहस्य
- महर्षि बामदेव की कठोर तपस्या के बाद प्रकट हुआ शिवलिंग,नाम पड़ गया बामदेवेश्वर
- सावन में भक्तों की उमड़ती है भीड़,दर्शन का है विशेष महत्व,जौ के बराबर प्रतिवर्ष बढ़ती है गुफा
The ancient Bamdeveshwar temple located on the hill in Banda : दो माह के श्रावण मास होने के चलते शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ा हुआ है.देश में कई प्राचीन रहस्यमयी शिव मंदिरों का अनोखा रहस्य है.बाँदा जिले में पहाड़ी पर स्थित एक शिवमंदिर रहस्यमयी होने के साथ-साथ अनूठा है.सावन मास में यहां दर्शन करने का विशेष महत्व है.चलिए बुंदेलखंड क्षेत्र के इस शिव मंदिर के पौराणिक महत्व और इसके पीछे क्या कथा प्रचलित है,और क्या रहस्य है, यह सभी आपको विस्तार से बताते हैं.
प्रभू श्रीराम ने शिवलिंग की करी थी पूजा
बाँदा का यह प्राचीन शिव मंदिर बुंदेलखंड क्षेत्र में अनोखा रहस्य समेटे हुए हैं.भक्तों में इस शिव मन्दिर की गहन आस्था है.शिवलिंग यहां स्थापित नहीं बल्कि स्वयं प्रकट हुआ था.शिवलिंग रामायणकाल से जुड़ा हुआ है.कहा जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्रीराम ने शिवलिंग की पूजा की थी.
एक जौ के बराबर प्रति वर्ष बढ़ती है गुफा
मंदिर के पुजारी महाराज पुत्तन तिवारी की माने तो महर्षि बामदेव की तपस्या से गुफा के अंदर शिवलिंग प्रकट हुआ,यहां जो शिवलिंग है वह 12 ज्योतिर्लिंगों से भी पुराना बताया जाता है.पहाड़ी पर गुफा के अंदर ही शिवलिंग मौजूद है.प्राचीन समय में यह गुफा नीची थी, तो दर्शन के लिए लेट के जाना पड़ता था.किवंदिति है कि एक जौ के बराबर प्रतिवर्ष गुफा बढ़ती है.अब भक्त खड़े होकर दर्शन करते हैं.महर्षि बामदेव के नाम पर ही मन्दिर बाम्बेश्वर और बामदेवेश्वर के नाम से जाना जाता है.जिस पहाड़ पर यह रहस्यमयी मन्दिर है,वहां पत्थरो को किसी चीज़ से छूने पर घुंघरू जैसी आवाज निकलती है.
यहां रात में सर्प देवता करने आते हैं दर्शन
महर्षि बामदेव की कठोर तपस्या के बाद यहां स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ.यहां अधिक संख्या में सर्प है.ऐसा कहा जाता है कि रात 12 बजे से 3 के मध्य सर्प भी दर्शन करने आते हैं.सावन मास के दिनों में यहां मेला लगा रहता है.दूर दराज से भक्त यहां लाखों की संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.यह शिव मंदिर बुंदेलखंड क्षेत्र के आस्था का केंद्र बिंदु है.ऐसी मान्यता है कि यहाँ आजतक कोई खाली हाथ नहीं गया,सच्चे मन से दर्शन करने वाले भक्तों की भोलेनाथ मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं.