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Barsana Latth Maar Holi: बरसाना की लट्ठमार होली क्यों प्रसिद्ध है ! क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली, जानिए इस परंपरा को

Barsana Latth Maar Holi: बरसाना की लट्ठमार होली क्यों प्रसिद्ध है ! क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली, जानिए इस परंपरा को बृजमण्डल (Brij mandal) की होली (Holi) देश भर में प्रसिद्ध है. मथुरा (Mathura) की होली की शुरुआत एक माह पहले से ही शुरू हो चुकी है. मथुरा में कई प्रकार की होली खेली जाती है जिसमें से एक होली लट्ठमार होली (Lathmar होली) है, खास तौर पर यह लट्ठमार होली बरसाना (Barsana) और नंद गांव (Nandganv) में खेली जाती है. बरसाना में आज होरियारिनो ने लहंगा चुनरी ओढ़कर जमकर होरियारों के साथ लट्ठमार होली खेली. चलिए आपको बताते हैं कि बरसाने और नंद गांव की इस होली को लठमार होली क्यों कहा जाता है और यह परम्परा कबसे चली आ रही है.
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Holi Me Rang Kyu Khelte Hai: जानिए क्यों मनायी जाती है होली ! क्यों खेला जाता है होली पर रंग, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व?

Holi Me Rang Kyu Khelte Hai: जानिए क्यों मनायी जाती है होली ! क्यों खेला जाता है होली पर रंग, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व? रंगों (Colours) का पर्व होली (Holi) का त्यौहार की तैयारियां (Preparation) जोरों-शोरों से देश भर में चल रही है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है. 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा. सबके मन में एक सवाल होगा आखिर होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. और रंग क्यों खेला जाता है चलिए आपके हर सवालों का जवाब हम अपने इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे की होली का त्यौहार के पीछे क्या कथा प्रचलित है और इस त्यौहार में रंगों का क्या महत्व है.
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Holashtak 2024 Kab Hai: होलिका दहन से कितने दिन पहले लग जाता है होलाष्टक ! इन शुभ कार्यों पर रोक, 8 दिन करें भगवान की आराधना

Holashtak 2024 Kab Hai: होलिका दहन से कितने दिन पहले लग जाता है होलाष्टक ! इन शुभ कार्यों पर रोक, 8 दिन करें भगवान की आराधना होली (Holi) के पर्व को ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. देश भर में होली को लेकर तैयारियाँ (Preparation) शुरू हो चुकी है. होलिका दहन से ठीक 8 दिन पहले हो होलाष्टक (Holashtak) शुरू हो जाते हैं और होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च से हो रही है जो 24 मार्च तक चलेंगे. 25 मार्च को होली खेली जाएगी. होलाष्टक के दौरान कुछ खास बातें हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए तो चलिए इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे कि होलाष्टक में क्या करें और क्या ना करें.
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Kharmas 2024 Kab Se Hai: लगने जा रहे खरमास ! मांगलिक कार्यों पर एक माह तक विराम, जानिए खरमास का महत्व?

Kharmas 2024 Kab Se Hai: लगने जा रहे खरमास ! मांगलिक कार्यों पर एक माह तक विराम, जानिए खरमास का महत्व? हिन्दू पंचांग के अनुसार खरमास (Kharmas) का बड़ा महत्व है, यानी सूर्य देव के धनु और मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाती है. खरमास 14 मार्च से लग रहा है जो 13 अप्रैल को समाप्त होगा. खरमास लगते ही मांगलिक कार्य (Auspicious Work) विवाह, मुंडन व गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. इस माह पूजन-पाठ और स्नान, दान-पुण्य विशेष रूप से करना चाहिये. ब्राह्मण का अपमान न करें.
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Mahashivratri 2024: देश भर में महाशिवरात्रि की धूम ! हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठे शिवालय, शिवालयों पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

Mahashivratri 2024: देश भर में महाशिवरात्रि की धूम ! हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठे शिवालय, शिवालयों पर उमड़ा भक्तों का सैलाब हर-हर महादेव के जयकारों के साथ देश भर के शिव मंदिरों (Shiv Temples) में भक्तों का देर रात से ही हुजूम उमड़ पड़ा है. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर दूर-दूर से भक्त लम्बी कतार में खड़े होकर अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. भक्त बाबा को बेलपत्र, जलाभिषेक अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं. काशी, हरिद्वार, कानपुर और फतेहपुर से लेकर शिवमंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. घाटों पर गंगा स्नान को लेकर भीड़ उमड़ पड़ी है.
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Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये गलतियां ! भोलेनाथ को न करें नाराज़, जान लें इन खास बातों को

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये गलतियां ! भोलेनाथ को न करें नाराज़, जान लें इन खास बातों को हमारे हिंदू धर्म (Hindu Religion) में देवों के देव महादेव (Lord Mahadev) के पूजन का बेहद खास महत्व माना जाता है. कहते हैं कि महादेव बड़े दयालु हैं कृपा करने पर आ जाए तो भक्तों के सभी संकट पल भर में दूर कर देते हैं. शंकर जी का सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri) है यह पर्व 8 मार्च 2024 को देशभर में हर्षोल्लास से साथ मनाया जाएगा. इस दिन उपवास (Fast) रखने वाले जातक विधि-विधान से महादेव की पूजा करते हैं. व्रत के दौरान कुछ अहम बातें हैं जिनका पालन करें कुछ ऐसे कार्य है जिन्हें करने से बचें.
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Premanand Maharaj ji: भक्त ने सवाल किया महाराज मृत्यु भोज करना चाहिए या नहीं ! प्रेमानन्द महाराज जी ने बताई ये बात

Premanand Maharaj ji: भक्त ने सवाल किया महाराज मृत्यु भोज करना चाहिए या नहीं ! प्रेमानन्द महाराज जी ने बताई ये बात इस संसार में जिसने जन्म लिया है. उसकी मृत्यु निश्चित है हिंदू धर्म और मान्यताओं की माने तो इंसान के शरीर त्यागने के बाद उसकी आत्मा शांति व मोक्ष को लेकर कई विधि-विधान बनाए गए हैं. जिसमें से एक संस्कार तेरहवीं संस्कार यानी मृत्यु भोज (Death Feast) है. अब लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि इस भोज को पाना चाहिए या नहीं. वृंदावन वाले प्रेमानन्द महाराज जी (Premanand Maharaj ji) ने इस बारे में विशेष जानकारी दी है.
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Vijaya Ekadashi Kab Hai 2024: कब है विजया एकादशी ! जानिये सही तारीख-शुभ मुहूर्त और महत्व

Vijaya Ekadashi Kab Hai 2024: कब है विजया एकादशी ! जानिये सही तारीख-शुभ मुहूर्त और महत्व फाल्गुन माह की शुरुआत हो चुकी है. मार्च माह में पड़ने वाली एकादशी जिसे विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) कहा जाता है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी नाम से जानी जाती है. इस एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. भगवान श्री हरि की पूजा फलदायी मानी गयी है. व्रत और पूजन से सौभाग्य और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
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Mahashivratri Kab Hai 2024: कब हैं 'महाशिवरात्रि' का महापर्व? क्या है इसके पीछे की कहानी, जानिए पौराणिक महत्व

Mahashivratri Kab Hai 2024: कब हैं 'महाशिवरात्रि' का महापर्व? क्या है इसके पीछे की कहानी, जानिए पौराणिक महत्व हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा (Worship Lord Shiva) बेहद शुभ व फलदायी मानी गई है. देश व दुनिया भर में भोलेनाथ के बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं. फाल्गुन की शुरुआत हो चुकी है महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व नजदीक आ रहा है. यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महापर्व के रूप में मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को है. विधि-विधान से शिव जी का पूजन और व्रत करना फलदायी माना गया है.
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Katni Mohas Hanuman Mandir: मध्यप्रदेश के कटनी में है एक ऐसा चमत्कारिक हनुमान मन्दिर ! जहां 'राम' नाम जप व बूटी ग्रहण करने से जुड़ जाती है टूटी हड्डियां

Katni Mohas Hanuman Mandir: मध्यप्रदेश के कटनी में है एक ऐसा चमत्कारिक हनुमान मन्दिर ! जहां 'राम' नाम जप व बूटी ग्रहण करने से जुड़ जाती है टूटी हड्डियां हमारे देश में ऐसे कई रहस्यमयी व प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिर (Miraculous Temple) हैं. जिनकी अद्भभुत मान्यता है. इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के कटनी (Katni) जिले के मुहास गांव (Village Muhas) में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर है. जहां मान्यता है कि संकटमोचन हनुमान जी स्वयं डॉक्टर बनकर भक्तों की टूटी हुई हड्डियों का इलाज कर उन्हें जोड़ देते हैं. इस मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भारी संख्या में भक्तों का आना लगा रहता है. भक्त सीता-राम का जप करते हैं यहां आये हुए भक्तो को बूटी खिलायी जाती है. यह मंदिर हड्डी जोड़ने वाले हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
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Sant Ravidas Jayanti: 'मन चंगा तो कठौती में गंगा', जानिए संत रविदास कौन थे ! क्यों मनाई जाती है रविदास जयंती?

Sant Ravidas Jayanti: 'मन चंगा तो कठौती में गंगा', जानिए संत रविदास कौन थे ! क्यों मनाई जाती है रविदास जयंती? हमारा देश संत-महात्माओं और महापुरुषों से जुड़ा हुआ है. एक से एक प्रभावशाली सन्त-महात्माओं के मार्गदर्शन की बदौलत लोगों ने अपने जीवन की नई दिशा चुनी. बिना संतों और गुरुओं के आशीर्वाद से जीवन की कल्पना करना ही बेकार है. एक ऐसे महान संत जो राम और कृष्ण के परम भक्त थे संत रविदास जी (Saint रविदास ji) आज उनकी जयंती है उन्होंने जात-पात और ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर कर समाज को एकता सूत्र में बांधने का कार्य किया.
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Rambhadracharya Biography In Hindi: बचपन से नेत्रहीन होने के बावजूद 22 भाषाओं का ज्ञान व 80 ग्रंथों की रचना करने वाले जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य कौन हैं? प्रधानमंत्री से लेकर बागेश्वर सरकार मानते हैं गुरु

Rambhadracharya Biography In Hindi: बचपन से नेत्रहीन होने के बावजूद 22 भाषाओं का ज्ञान व 80 ग्रंथों की रचना करने वाले जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य कौन हैं? प्रधानमंत्री से लेकर बागेश्वर सरकार मानते हैं गुरु हिन्दू धर्म में साधू, सन्यासी व महात्माओं का बड़ा महत्व है. हमारे सनातन धर्म में बड़े तेजस्वी साधु-संत रहे हैं. रामानंद संप्रजाय के चार प्रमुख जगद्गुरुओं में से एक जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य (Shri Rambhadracharya) हैं. जो बचपन से नेत्रहीन (Blind) होने के बावजूद उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान व 80 ग्रन्थों की रचना कर चुके हैं. प्रभू राम के अनन्य भक्त व आध्यात्मिक गुरु श्री रामभद्राचार्य के नाम कई बड़े सम्मान दर्ज हैं. हाल ही में उनका नाम ज्ञानपीठ अवार्ड (Gyanpith Award) के लिए नामित हुआ है.
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