Nirjala Ekadashi Bhimseni Ekadashi Vrat Katha In Hindi:निर्जला एकादशी पर जरूर सुनें औऱ पढ़ें यह कथा
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 10 Jun 2022 10:57 AM
- Updated 24 Oct 2023 12:31 AM
निर्जला एकादशी का व्रत इस साल 10 जून को मनाया जा रहा है.कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 11 जून को भी व्रत रखा जा सकता है.इस व्रत को निर्जला रखना श्रेष्ठकर होता है.व्रत के साथ साथ इसकी कथा को सुनना औऱ पढ़ना भी पुण्य देने वाला होता है. आइए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत कथा.. Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi Bhimseni Ekadashi Vrat Katha in Hindi
Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi Bhimseni Ekadashi Vrat Katha in Hindi:प्राचीन काल की बात है एक बार भीम ने वेद व्यास जी से कहा कि उनकी माता और सभी भाई एकादशी व्रत रखने का सुझाव देते हैं, लेकिन उनके लिए कहां संभव है कि वह पूजा-पाठ कर सकें, व्रत में भूखा भी नहीं रह सकते.
इस पर वेदव्यास जी ने कहा कि भीम, अगर तुम नरक और स्वर्ग लोक के बारे में जानते हो, तो हर माह को आने वाली एकादश के दिन अन्न मत ग्रहण करो.तब भीम ने कहा कि पूरे वर्ष में कोई एक व्रत नहीं रहा जा सकता है क्या? हर माह व्रत करना संभव नहीं है क्योंकि उन्हें भूख बहुत लगती है.
भीम ने वेदव्यास जी से निवेदन किया कोई ऐसा व्रत हो, जो पूरे एक साल में एक ही दिन रहना हो और उससे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए.तब व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में बताया.निर्जला एकादशी व्रत में अन्न व जल ग्रहण करने की मनाही होती है। द्वादशी को सूर्योदय के बाद स्नान करके ब्राह्मणों को दान देना चाहिए और भोजन कराना चाहिए फिर स्वयं व्रत पारण करना चाहिए.इस व्रत को करने व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
वेद व्यास जी की बातों को सुनने के बाद भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत के लिए राजी हो गए.उन्होंने निर्जला एकादशी व्रत किया.इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी कहा जाने लगा.
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