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Naina Devi Shaktipeeth: ऊंची पहाड़ियों में माँ 'नैना देवी' का सिद्ध दरबार! यहां गिरे थे माता सती के नेत्र

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Naina Devi Shaktipeeth: शारदीय नवरात्रि के पावन 9 दिनों का पर्व चल रहा है. माता के जयकारों के साथ देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में माता का भव्य दरबार है. जो शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है. यहां माता सती के नेत्र गिरे थे. तबसे यह शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. भक्तों की माँ पर गहरी और अटूट आस्था है. यहां दर्शन मात्र से ही रोग व आंखों सम्बन्धित बीमारियां दूर हो जाती हैं.

हाइलाइट्स

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में है नैना देवी मंदिर, सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है

यहां माता सती के गिरे थे नेत्र, नेत्र सम्बन्धित बीमारियों से मिलती है मुक्ति
ऊंची पहाड़ियों पर है मां का दरबार, चमत्कारी है मन्दिर

Siddha Shaktipeeth of Maa Naina Devi : आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दिनों में मां के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. हमारी टीम आपको माता के शक्तिपीठों के दर्शन व पौराणिक महत्व के बारे में बता रही है. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में माता का शक्तिपीठ है. यहां दूर-दराज से भक्तों का तांता 12 मास लगा रहता है. आपको बताते हैं कि कैसे यह शक्तिपीठ बना और क्या इसके पीछे का रहस्य है.                

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ऊंची पहाड़ियों पर मां नैना देवी का दरबार

हिमाचल प्रदेश जिसे देवभूमि के लिए जाना जाता है. यहां सिद्ध शक्तिपीठ हैं, पर्यटक स्थल होने के चलते यहां देश-विदेश से लोगों का आना-जाना लगा रहता है. बिलासपुर जिले में माता का सिद्ध शक्तिपीठ है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है. ऐसी मान्यता है यहां देवी सती के नेत्र गिरे थे. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से नेत्र से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मंदिर परिसर के अंदर दो नेत्र नैना देवी माता के बने हुए हैं.मंदिर के गर्भगृह में तीन मूर्तियां हैं, जिसके एक तरफ माता काली है, दूसरी तरफ भगवान गणेश हैं तो मध्य में नैना देवी विराजमान हैं.

जितना मर्जी हवन कराओ शेष नहीं बचता

नैना देवी मंदिर कई चमत्कार और अद्भुत रहस्य समेटे हुए है. इस मंदिर में दो तरह के चमत्कार भी प्रकाश में आये है. माता जी का प्राचीन हवन कुंड इसमें जितना मर्जी हवन करते जाओ बचा हुआ कभी नहीं उठाना पड़ता. सब सामग्री इसी के अंदर समा जाता है. इस हवन कुंड में विजय प्राप्ति के लिए, दुख, रोग दूर करने के लिए, धन प्राप्ति के लिए कई प्रकार के हवन किए जाते हैं. यहां एक हवन घर में किये जाने वाले 100 हवनो के बराबर है. 

माँ ज्वाला देवी मिलने आती हैं नैना देवी से

दूसरा रहस्य माँ नैना से मिलने माँ ज्वाला देवी का आना, ऐसी मान्यता है कि यहां ज्वाला देवी से निकली ज्योतियाँ यहां पहुंचती हैं. सबसे पहले ज्वाला माँ के ज्योति के दर्शन माता के त्रिशूल पर होते हैं उसके बाद श्रद्धालुओं के हाथों पर, पीपल के पत्तों पर भी ज्योतियों के दर्शन होते हैं, उस समय तूफान का संकेत दिखता है. जो उस समय मंदिर में होते हैं उन्हें माता की इस चमत्कारी , सिद्ध और अद्भुत ज्योत के दर्शन होते हैं. यहां नेत्र रोग के लिए भक्त चांदी के नेत्र अर्पित करते हैं. ऐसी मान्यता है यहां नेत्र रोग दूर होते हैं. आंखों को बहुत फायदा होता है.

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यहां गिरे थे माता के नेत्र

माँ नैना देवी के दर्शन मात्र से ही समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं, जब शिव जी माता सती के मृत देह को लिए घूम रहे थे,तभी सुदर्शन चक्र से सती के अंग जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गया. हिमाचल के बिलासपुर में माता के नेत्र गिरे थे, तभी से नैना देवी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा. यहां माता के दर्शन करने से नेत्रों के रोगों से मुक्ति मिलती है. समस्त दुखो का निवारण होता है. 

इस तरह से पहुंचे दरबार

हवाई मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चंडीगढ़ हवाई अड्डा पास है यहां से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है. जो यात्री रेल मार्ग से जाना चाहते है उन श्रद्धालुओं के लिए आनंदपुर साहिब रेलवे स्टेशन यहां से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सड़क मार्ग से आने वाले श्रद्धालु चंडीगढ़, रोपड़, आनंदपुर साहिब होते हुए यहां पहुंच सकते हैं.

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