Mp Someshwar Mahadev : ऊंची पहाड़ी पर सोमेश्वर महादेव ! साल में एक दिन खुलता है मंदिर का ताला, जानिए क्या है पौराणिक महत्व
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 14 Aug 2023 11:06 AM
- Updated 20 Nov 2023 12:54 AM
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की पहाड़ी पर 12 वीं सदी का एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर है जिसके पट साल में एक बार शिवरात्रि में खुलते हैं.भक्त सावन व अन्य दिनों में आते रहते हैं.दर्शन बाहर से ही करते हैं और यहां दरवाजे पर ही मन्नत के लिए ताला और धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है.यह मंदिर सोमेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.
हाइलाइट्स
मध्यप्रदेश के रायसेन में सोमेश्वर महादेव का अद्भुत महत्व,ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मन्दिर
साल में एक बार मन्दिर के पट खुलते है,महाशिवरात्रि के दिन
भक्त दरवाजे पर कपड़ा या कलावा बांधने आते हैं,मन्नते होती है पूरी
Someshwar Mahadev in Raisen Madhya Pradesh :भारत में शिव मंदिरों का अनोखा और अदभुत रहस्य और चमत्कार कई जगह देखा जा सकता है.प्राचीन शिव मंदिरों में भक्त सावन मास में दर्शन के लिए निकल पड़े हैं.सावन मास में तो महादेव की पूजा और उनके जप कर लेने मात्र से ही कल्याण हो जाता है.आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे रहस्यमयी शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जो साल में केवल इस दिन ख़ुलता है.
साल में शिवरात्रि के दिन मन्दिर के खुलते हैं पट
शिव शंकर का यह प्राचीन मंदिर 12 वीं सदी का बताया जाता है.मध्यप्रदेश के रायसेन शहर में ऊंची पहाड़ी पर सोमेश्वर महादेव का रहस्यमयी मन्दिर है.कहते हैं जो भक्त सोमेश्वर महादेव के दर्शन पा लेता है.वह बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है.और यह मंदिर साल में केवल एक दफा शिवरात्रि के दिन ख़ुलता है.
एक विवाद के चलते हुए ऐसा
दरअसल एक विवाद काफी समय से चला रहा हैं. यहां मंदिर और मस्जिद का विवाद खड़ा हो गया था.हल न निकलने पर तब पुरातत्व विभाग ने गेट पर ताला जड़ दिया. 1974 तक मंदिर में कोई प्रवेश नहीं कर सकता था.उसी दरमियां बताया जाता है कि हिंदू समाज और संगठनों ने मिलकर पहल की और ताले खोलने को लेकर अंदोलन किया.अंत में तत्कालीन सीएम के निर्देश पर इस मंदिर के ताला खुलवाया.महाशिवरात्रि पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है.तभी से मंदिर महाशिवरात्रि पर ही खुलता है.और तबसे ही ये प्रथा चली आ रही है.
दरवाजे पर भक्त मन्नत के लिए बांधते है कपड़ा, धागा
हालांकि इस प्राचीन मंदिर में भक्तों की विशेष आस्था है.यहाँ भक्त वैसे तो दर्शन के लिए आते रहते हैं.लेकिन पट पर ताला लगा रहता है.बंद होने के कारण वे दूर से ही लंबी लाइनों में दर्शन कर चले जाते हैं.ऐसी मान्यता भी है कि यहां भक्त मन्नत के लिए दरवाजे पर कलावा, धागा या कपड़ा बांधने आते हैं.और मन्नत पूरी होने के बाद यहां आकर उन्हें खोलना होता है.भक्त शिवरात्रि का इंतजार करते हैं क्योंकि इसी दिन ताला ख़ुलता है. दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
शिवरात्रि के दिन मन्दिर सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ही खुलता है
मन्दिर शिवरात्रि के दिन ही सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए ख़ुलता है.मन्दिर में सूर्य की पहली किरण जब शिवलिंग पर पड़ती है तो सोने जैसा चमक जाता है.सावन में दर्शन के लिए शिवलिंग के दूर से दर्शन किये जाते हैं और जलाभिषेक के लिए विशेष पाइप लगाया गया है.
ऐसे पहुंच सकते हैं यहां
यहां आप निजी साधन ,फ्लॉइट,ट्रेन और बस से भी आसानी से पहुंच सकते हैं.फ्लॉइट वाले इंदौर के अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट पर उतरना होगा.यहां से 156 किलोमीटर दूर है.ट्रेन से आने वाले उज्जैन उतर सकते हैं यहाँ से 98 किलोमीटर है.
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