Khichdi Festival : मकर संक्रान्ति में लोग खिचड़ी क्यों खाते हैं, जाने इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 11 Jan 2023 02:06 PM
- Updated 22 May 2023 08:55 AM
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का महत्व है, लेकिन आप सबके मन में एक सवाल जरूर आता होगा कि आख़िर मकर संक्रांति पर खिचड़ी ही क्यों खाई जाती है, आइए जानते हैं खिचड़ी का धार्मिक औऱ वैज्ञानिक महत्व.
Khichadi Festival 2023 : हिन्दू धर्म का मकर संक्रांति जिसे खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है उसका बड़ा महत्व है. सूर्य के मकर राशि पर प्रवेश करने के खिचड़ी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सबके घर में खिचड़ी बनाई और खाई जाती है.विद्वानों के मुताबिक मकर संक्रांति पर जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है.
जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है. खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से माना गया है. इसके अलावा खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य देव से होता है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ साथ जरूरत मंद, गरीब औऱ आचार्य, पुरोहितों को खिचड़ी का दान भी जरूर करें.
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी, हर साल यह पर्व 14 या 15 जनवरी को पड़ता है, क्योंकि सूर्य का मकर रेखा में प्रवेश 14, 15 जनवरी को ही होता है. इस साल उदयातिथि की वजह से 15 जनवरी को मकर संक्रांति ( खिचड़ी ) मनाई जाएगी.
मकर संक्रांति के सम्बंध में कई मान्यताएं प्रचलित हैं उनमें से ही एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन देवी गंगा भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलकर भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. यहां उन्होंने भागीरथ के पूर्वज महाराज सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्ति का वरदान दिया था. इसलिए बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला भी लगता है.
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