Bhimashankar Jyotirling Temple : कुम्भकर्ण के पुत्र राक्षस भीम से जुड़ा है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व,करिए दर्शन
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 19 Jul 2023 10:43 AM
- Updated 23 Sep 2023 09:54 AM
हमारे देश के कोने-कोने में प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग हैं. जिनकी अपनी अलग-अलग विशेषता और मान्यता है.कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से सीधे मोक्ष की प्राप्त होती है.देवों के देव महादेव का महाराष्ट्र के पुणे में स्थित यह ज्योतिर्लिंग काफी सिद्ध है.जिसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.मान्यता है भोलेनाथ के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
हाइलाइट्स
महाराष्ट्र के पुणे से 110 किलोमीटर दूर स्थित है भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
सावन मास में दर्शन का विशेष महत्व,रामायण काल से जुड़ा है महत्व
कुम्भकर्ण के पुत्र भीम से जुड़ा है रहस्य,शिव शंकर ने राक्षस भीम का किया वध, शिव जी वहीं हो गए विराजमा
Bhimashankar Jyotirling is in Pune :
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भी है. जिसका अपना अलग पौराणिक महत्व और अपनी अद्भुत मान्यता है. रामायण काल से जुड़ा हुआ यह ज्योतिर्लिंग है. युगांतर प्रवाह की टीम आज आपको महाराष्ट्र के पुणे शहर से करीब 110 किलोमीटर दूर सहयाद्री पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराएगी साथ ही इसके पौराणिक महत्व और ऐतिहासिक मान्यताओं के बारे में भी बताया जाएगा.
भीमाशंकर को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है
शिव की भक्ति करने वालों के पास दुख भटक नहीं सकता. वैसे तो हर दिन शंकर भगवान के पूजन का विशेष महत्व है.खास तौर पर सावन के दिनों में महादेव की आराधना करने से घर में सुख शांति बनी रहती है. महादेव बड़े ही भोले हैं एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. बड़े से बड़े कष्टों का निवारण तत्काल करते हैं.सावन के दिनों में हर कोई शिवमय हो चुका है. हम आज बात करेंगे. महाराष्ट्र के पुणे शहर से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित सहयाद्री पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की.जिन्हें मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है.यह मन्दिर नासिक से लगभग 120 मील दूर है. ज्योतिर्लिंग के पास से ही भीमा नदी भी निकलती है.
कुम्भकर्ण के पुत्र से जुड़ा है इस ज्योतिर्लिंग का रहस्य
इस ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व की अगर बात करें तो, ज्योतिर्लिंग का इतिहास रावण के भाई कुम्भकर्ण के पुत्र भीम से जुड़ा हुआ है.भीम एक राक्षस था.ऐसा बताया जाता है कि भीम को यह नहीं पता था कि उसके पिता का वध प्रभू राम के द्वारा हुआ था. जब उसकी माता ने उसे बताया तो उसके मन में प्रतिशोध की भावना जाग उठी. और भीम शक्तियां पाने के लिए कठोर तपस्या करने लगा. कठोर तपस्या से ब्रह्ना जी प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया.
देवताओं ने भगवान शिव से यही विराजने का किया आग्रह
ब्रह्मा जी से मिले इस वरदान का दुरुपयोग भीमकरने लगा.देवता गण भी भीम की ताकत से हैरान होने लगे. तब जाकर सभी ने रक्षा के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे.जिसपर शिव जी ने राक्षस भीम को युद्ध में खाक कर दिया. अब सभी देवी देवताओं ने शिवजी से यहीं पर विराजने का आग्रह किया. शिवजी ने सभी देवी-देवताओं की बात को स्वीकार करते हुए वहीं विराज गए तब से इसका नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ गया.
मराठा शासक शिवाजी ने यहां पूजन के लिए की थी विशेष सुविधाएं
भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से नई संरचनाओं का सम्मिश्रण है. ऐसा भी बताया जाता है कि हम मराठा शासक शिवाजी ने पूजन के लिये कई सुविधाएं दी.
ऐसे पहुंचे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
यदि आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्लान कर रहे हैं,तो आपको यात्रा में कई अच्छे स्पॉट्स घूमने को मिलेंगे. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर यहां हनुमान झील, गुप्त भीमाशंकर ,नागफनी मुंबई पॉइंट है. भीमाशंकर पहुंचने के लिए निजी वाहन व रेल मार्ग के जरिए भी आसानी से पहुंच सकते हैं.यहां शिवरात्रि और सावन के दिनों में भारी भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
ये भी पढ़ें- Seema Haider News : ATS का सीमा हैदर पर गहराया शक ! हर एंगल से हो रही पूछताछ