Agra Rajeshwar Temple : दिन में तीन बार बदलता हैं शिवलिंग का रंग, आजतक बना हुआ रहस्य
आगरा के प्राचीन राजेश्वर मंदिर का अनोखा रहस्य है.कहा जाता है, यहां चमत्कारी शिवलिंग है.यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है.मंदिर 900 साल पुराना बताया जाता है.सावन मास में हज़ारों भक्त और कावड़िये दर्शन के लिए पहुंचते हैं.यहां मेला भी लगता है.यहां विधिविधान से भोलेनाथ का पूजन करने से भक्तों की मनोकामना जल्द पूर्ण होती है.

हाईलाइट्स
- आगरा के राजेश्वर महादेव मंदिर का अनोखा रहस्य,भक्तों की विशेष आस्था
- 900 वर्ष पुराना बताया जाता है मन्दिर,दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग
- दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचते हैं भक्त,यहां भव्य मेला भी लगता है
unique secret of the mysterious Rajeshwar Mahadev : हमारे देश चमत्कारों और रहस्यों से भरा हुआ है.दिव्य और प्रसिद्ध शिव मंदिरों का अनोखा रहस्य देश में कई जगह दिखाई पड़ जायेगा.शिव मंदिरों में भक्तों की गहन आस्था रहती है.सावन के दिनों में हर शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है.आज हम आपको ताजनगरी आगरा के एक रहस्यमयी शिव मन्दिर के बारे में बताएंगे जो करीब 900 वर्ष पुराना बताया जाता है.
राजेश्वर महादेव मन्दिर का अनोखा रहस्य
दिन में तीन बार शिवलिंग का बदलता है रंग
दरअसल कहा जाता है कि राजेश्वर मंदिर में चमत्कारी शिवलिंग स्थापित है, जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह की मंगला आरती पर सफेद हो जाता है,दोपहर को हल्का नीला और शाम की आरती के समय गुलाबी रंग को हो जाता है. जिसे देखने के लिए हर कोई लालायित रहता है.कावड़िये जल लेकर भगवान का जलाभिषेक करते हैं.इस मन्दिर में भोलेनाथ की विधि विधान से पूजन करें तो उसकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है.
एक कथा भी है प्रचलित
इस मन्दिर के शिवलिंग के पीछे एक कथा भी प्रचलित है.किवंदति है ,भरतपुर के राजा खेड़ा का एक साहूकार बैलगाड़ी से शिवलिंग दूसरी जगह स्थापित करने के लिए ले जा रहा था. मंदिर के पास एक कुआं था.रात में सेठ यहीं पर विश्राम के लिए रुक गया.जिस जगह मन्दिर है, उसी जगह सेठ को भगवान शिव ने स्वप्न में कहा कि, शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दो.लेकिन सेठ अहंकार वश उनकी बात को नहीं माना.
शिवलिंग अपने आप स्वयं हो गया स्थापित
सेठ शिवलिंग लेकर आगे बढ़ने लगा. इसी दरमियां बैलगाड़ी जहां के तहां खड़ी रह गयी.सेठ ने लाख प्रयास किया बैलों को हांकने का लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.अचानक शिवलिंग बैलगाड़ी से नीचे आकर स्वयं स्थापित हो गया.यह देख सेठ दंग रह गया.और फिर वह वहां से चला गया.तबसे वह शिवलिंग वही स्थापित हो गया है.आज सभी इसे राजेश्वर मन्दिर के नाम से जानते हैं.