Tokyo Olympics Indian Hockey: उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सराहना होनी ही चाहिए हॉकी के लिए कैसे बने मददगार
भारतीय हॉकी पुरूष टीम ने आज कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।41 साल बाद हॉकी में मिले पदक से देश गौरवान्वित हो उठा है.लेकिन हॉकी के इस सफलता के पीछे जिस एक व्यक्ति का ज़िक्र औऱ हो रहा है वह उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.पढ़ें यह रिपोर्ट. Indian hockey espanosher
Tokyo Olympic India Hockey: भारत के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा।हॉकी में 41 साल का सूखा ख़त्म करते हुए भारतीय पुरुष टीम ने जर्मनी को हराकर कांस्य पदक भारत की झोली में डाला।भारत की इस जीत के बाद पूरे देश में जश्न का माहौल है। क्योंकि 1980 के बाद से अब तक ओलंपिक खेलों में भारत ने पदक नहीं जीता था। इस बार ओलंपिक खेलों में भारत की पुरुष औऱ महिला दोनों टीमों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। हालांकि दोनों ही टीमें अपना सेमीफाइनल हार गईं। लेकिन पुरुष टीम ने कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले को जीत लिया है। महिला टीम का मुकाबला अभी होना बाकी है। Tokyo olympics indians
नवीन पटनायक की सराहना क्यों..
ओलंपिक में हॉकी टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने पर सोशल मीडिया पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की जमकर चर्चा होना शुरू हो गई है। खेलो के महाकुंभ में शामिल होने वाली टीमों को बड़े कॉरपोरेट्स स्पॉन्सर करते हैं, पर भारतीय हॉकी के साथ ऐसा नहीं है। दरअसल भारतीय हॉकी टीम को कोई बड़ी कंपनी या कॉरपोरेट नहीं खुद ओडिशा सरकार स्पॉन्सर कर रही है।इसे लेकर ही सोशल मीडिया पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की जमकर तारीफ हो रही है।दरअसल भारतीय हॉकी टीम को जब वित्तीय सहायता की जरूरत थी तब उनके साथ ओडिशा सरकार खड़ी हुई।ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी अपने स्कूल के दिनों में हॉकी के गोलकीपर रह चुके हैं।आज ओडिशा सरकार से स्पॉन्सरशिप पाने वाली भारतीय हॉकी टीम अपने दमदार खेल से पूरे दुनिया का मन मोह रही है।Naveen Patnaik Hockey
भारतीय हॉकी टीम को स्पॉन्सर करने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य है। ओडिशा सरकार से पहले सहारा ने भारतीय हॉकी को स्पॉन्सर किया था, पर साल 2018 में सहारा ने आधिकारिक स्पॉन्सरशिप वापस ले ली थी।जब भारत में हर तरफ़ क्रिकेट की चकाचौंध थी उस वक्त ओडिशा सरकार ने भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी मदद की और इसे नया जीवन प्रदान किया।उड़ीसा सरकार के प्रोत्साहन औऱ औऱ खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत का ही नतीज़ा है कि इस बार के ओलंपिक में भारत की दोनों (पुरुष औऱ महिला) टीमों ने शानदार प्रदर्शन कर विश्व के पटल पर भारत की छाप छोड़ी। अब ऐसा लग रहा है कि एक बार फ़िर हॉकी में भारत विश्व का सिरमौर बनेगा।