
Sculptor Arun Yogiraj News: मूर्तिकार अरुण योगिराज बोले ! एक पल के लिये लगा बदल गयी मूर्ति, कहा मैं बहुत भाग्यशाली हूँ, बंदर वाला बताया किस्सा
Ram Lala Yogiraj News
कर्नाटक के मूर्तिकार (Sculptor) अरुण योगिराज को आज पूरी दुनिया में चर्चा है. अयोध्या में राम लला (Ram Lala) की प्रतिमा को 7 माह में तैयार किया. खास बात यह है कि नए महल में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति का अलग ही स्वरूप दिखाई दे रहा है. यह बात खुद मूर्तिकार अरुण ने कही है. अरुण योगिराज खुद अचंभित है और इसे दैवीय चमत्कार (God Miracle) ही समझ रहे हैं.

रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगिराज अचंभित
अयोध्या में नए भव्य राम मंदिर में राम लला 'बालक राम' के रूप में विराज गए. 22 जनवरी को बालक राम (Balak Ram) की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratistha) विधि विधान से सम्पन्न हुई. जय श्री राम के जयकारों से रामनगरी गूंज उठी. 51 इंच की बालक रूप में राम लला की प्रतिमा बनाने वाले कर्नाटक के मूर्तिकार (Sculptor) अरुण योगिराज ने इस मूर्ति को बनाने के लिए क्या कुछ नहीं किया. वे अपने साथियों से पूछा करते थे. यह मूर्ति लोगों को पसन्द आएगी की नहीं, प्राण प्रतिष्ठा होते ही जैसे ही मूर्ति सबके सामने आई. मानो साक्षात प्रभू की अनुभूति हो रही हो. वो तेज, वो मुस्कान स्वरूप ही बड़ा अलग था.
मूर्तिकार ने कहा मैं बहुत भाग्यशाली हूँ
अरुण ने एक चैनल को बताया कि उन्होंने किस तरह से एक 5 साल के बच्चे के चेहरे के भाव को समझते हुए इस मूर्ति पर 7 माह तक काम किया. यह सब राम जी की कृपा ही है जो आज देश के लोगों को मूर्ति पसन्द आ रही है. मूर्ति बनाने के समय पर काफी समय बच्चों के साथ बिताया. 7 साल की बेटी को फोटो दिखाया कि कैसी मूर्ति लग रही है, बेटी ने कहा बिल्कुल बच्चा जैसा ही है अप्पा, अरुण कहते हैं कि राम लला ने जो आदेश दिया वह मैंने किया. अरुण योगिराज अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानते हैं.
गर्भगृह में मूर्ति की बदल गयी आभा
यह भी बताया कि बालक राम के दर्शन करने पहुंचा तो एकपल के लिए लगा कि यह मूर्ति मैंने नहीं बनाई है. दरअसल उनके भाव दर्शन कर ऐसे हो गए थे कि मानो सामने भगवान का सुंदर स्वरूप उनके सामने ही हो. गर्भगृह में स्थापित और प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मूर्ति में अलग तेज देखा. जैसे भगवान ने अलग रूप ले लिया हो. यह सब प्रभू का ही चमत्कार है. आज मैं बेहद खुश हूं कि मुझे प्रभू ने चुना. यह रामलला की कृपा ही है जो पूरा देश मूर्ति को इतना पसंद कर रहा है.
बताया ये किस्सा शाम के वक्त आता था बंदर
उन्होंने यह भी बताया कि जब वे मूर्ति बना रहे थे तो हर रोज शाम के वक्त करीब 4 से 5 के बीच एक बंदर वहां आ जाता था. हम समझ नहीं पाते, फिर चंपत राय जी को यह बात बताई और दरवाजा बंद कराया. एकदिन दरवाजे पर जोर-जोर से खटखटाने की आवाज आने लगी. दरवाजा खोला तो बंदर खड़ा था. शायद उनका प्रभू को देखने का मन हो. तबसे दरवाजा बंद नही किया. शायद प्रभू की कोई इच्छा हो.
