Premanand Maharaj ji Inspiration Thoughts: प्रेमानन्द महाराज जी ने बताया प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम लला की मूर्ति क्यों बदल गयी ! कहा मंत्रों और भावों में है बड़ा सामर्थ्य

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या (Pran Pratistha Ayodhya) में हो चुकी है. प्रभू बालक राम रूप में विराज गए हैं. इन दिनों राम लला की मूर्ति पर तेज और परिवर्तन (Ram Lala Idol Changed) देखा गया जिसका जिक्र खुद मूर्तिकार अरुण योगिराज ने किया. अब मूर्ति के बदलाव को लेकर मथुरा वृन्दावन वाले प्रेमानन्द महाराज ने महत्वपूर्ण बात बताई है.
रामलला की मूर्ति को देख मूर्तिकार भी हुए अचंभित, प्रेमानन्द जी ने बताई ये बात
सोशल मीडिया पर प्रेमानन्द महाराज जी (Premanand Maharaj) को काफी फॉलो किया जाता है. दरअसल उनके प्रेरणादायक सत्संग और प्रवचन (Inspirational Sermon) हर किसी को जीवन की नई दिशा देने का काम करते हैं. विराट कोहली से लेकर रेसलर खली व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं. आये हुए भक्तों के प्रश्नों का जवाब बड़े ही सहजता से देते हैं. एक सवाल आया था कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद इतना परिवर्तन कैसे आया. ख़ुद मूर्तिकार भी इस बात को लेकर एक बार अचंभित हुए थे. जिसपर महाराज जी की प्रतिक्रिया सामने आई है.
नाम भाव से जपते रहो, प्रभू का अवतार मंत्र से हो गया

वेदमंत्रों और भाव से भगवान को कहीं भी किया जा सकता प्रकाशित
प्रेमानन्द जी ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के समय वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. हमारे शास्त्रों में मंत्रों में बहुत सामर्थ्य है. उस शुभ समय पर ऐसे तपस्वी संत और महापुरुष भी होते हैं जिनके द्वारा दिव्य वेद मंत्रों का प्रयोग कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. ऐसे में मूर्ति में स्वयं भगवान प्रकाशित हो जाते हैं यानी मूर्ति में भगवान का वास होता है. मंत्र और भाव से कहीं भी भगवान को प्रकाशित किया जा सकता है. कौन सा महात्मा किस कोटि का है यह आप समझते है. मंत्र विद्या ब्रह्म ऋषियो का आव्हान और असंख्य भक्तों की भक्ति से प्रभू प्रकाशित हो जाते हैं. वेद मंत्र में बहुत शक्ति है, वेद मंत्र भगवान की ही वाणी है. खुद भगवान उनके रचयिता है. मंत्रों में असंख्य भक्तों के भाव छिपे हैं.