Neem Karauli Baba Biography: जानिए कौन थे 'नीम करौली बाबा' ? अद्भुत चमत्कारिक किस्सों से भरी पड़ी है इनकी कहानी, भक्त मानते हैं हनुमानजी का अवतार, कैसे पहुंचे इनके धाम?

नीम करौली बाबा जीवन परिचय
नीम करौली बाबा' (Neem Karauli Baba) विश्व के प्रख्यात संतों में से एक थे. उनके भक्तों की संख्या देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत है. भक्त नीम करौली बाबा को हनुमानजी का अवतार (Incarnation) मानते थे. उनमें अदभुत और चमत्कारिक शक्तियां (Miracles Power) थीं. उत्तराखंड के कैंची धाम (Kainchi Dham) में इनके द्वारा स्थापित किया गया आश्रम भी है. जहां एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs), व क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) भी दर्शन के लिए जा चुके हैं. जानिए प्रसिद्ध संत नीम करौली बाबा कौन थे, इनके धाम कैसे पहुंचे.
प्रख्यात संत नीम करौली बाबा के भारी संख्या में हैं अनुयायी
संतों की कृपा के बगैर ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है. आज हम एक ऐसे प्रख्यात संत (Saint) की बात करेंगे जिनकी अद्भुत शक्तियां और चमत्कारों से भरे किस्से बहुत ही चर्चित हैं. तो चलिए पहले तो आपको बताएंगे की ये महात्मा-संत (Saint) कौन थे. भक्त इन्हें किस रूप में देखते हैं. इनके भक्तों की लिस्ट में एप्पल के संस्थापक भी हैं. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) भी इन्हें बहुत मानते हैं. हालांकि नीम करौली बाबा सशरीर तो अब नहीं हैं, लेकिन उनका आश्रम और समाधि स्थल है, जहां लाखों की संख्या में भक्त इनके दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं.
कौन थे नीम करौली बाबा (Who Is Neem Karauli Baba)?

पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था, नीम करौली वाले बाबा की जब उम्र 11 वर्ष थी तभी उनका विवाह (Marriage) कर दिया गया था. हनुमानजी पर उनकी बाल्यकाल से ही अटूट आस्था रही. 17 वर्ष के जब वे हुए तो उन्हें अद्भुत ज्ञान की प्राप्ति हो गयी थी. बाबा को दो पुत्र व एक पुत्री की प्राप्ति हुई थी. वर्ष 1958 में बाबा ने घर का त्याग कर दिया था. अनेक स्थानों पर भ्रमण करते हुए अंत में वे उत्तराखंड (Uttarakhand) के कैंची धाम (Kainchi Dham) पहुंच गए.
कैसे पहुंचे नीम करौली बाबा के कैंची धाम, ऐसे नाम पड़ा कैंची धाम
नीम करोली बाबा बचपन से ही हनुमान जी की विशेष पूजा करते थे हनुमान जी की पूजा पाठ करने से उन्हें कई अद्भुत और चमत्कारिक सिद्धियां भी प्राप्त थीं. बाबा ने अपने जीवन के दौरान कई हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया. बाबा के आश्रम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं. और उनके भक्तों की लिस्ट भी बहुत लंबी है. नीम करोली बाबा अक्सर कंबल (Blanket) ओढ़े रहते थे. वह बेहद सरल स्वभाव के थे जब भी कोई भक्त उनके पैर छूने के लिए प्रयास करता था तो वे उन्हें रोक देते थे, उन्होंने कभी किसी को अपने पैर नहीं छूने दिए, जब भी कोई पैर छूने का प्रयास करता था तो वह कहते थे, जाओ हनुमान जी के पैर छुओ.
कैंची धाम नाम ऐसे पड़ा, बताया जाता है कि यहां दो कैंची के आकार के तीखे मार्ग है जो कैंची की तरह दिखते हैं तभी से इस जगह को कैंची धाम कहा जाने लगा. यहां 15 जून का विशेष महत्व है, कैंची धाम में इस दिन यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. साथ ही भंडारे का भी आयोजन होता है इसी दिन आश्रम की स्थापना भी की गई थी. दूर-दूर व विदेशों से भी भक्त यहां आते हैं. बाबा का प्रिय भोग माल पुआ बताया जाता है जो उन्हें काफी प्रिय है.
जानिए नीम करौली बाबा नाम कैसे पड़ा
एक बार बाबा ट्रेन (Train) में सफर कर रहे थे उनके पास टिकट नहीं था. जब टिकट चेकर (Ticket Checker) ने उनसे टिकट मांगा तो उन्होंने कहा कि मेरे पास टिकट नहीं है, अगला स्टेशन नीव करौली (Neev Karauli) था, यहां टिकट चेकर ने बाबा को वही उतार दिया. बाबा अपना चिमटा लेकर स्टेशन के पास ही बैठ गए. जब ट्रेन चलने की बारी आई और ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई गई लेकिन ट्रेन 1 इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी.
यह देख स्टेशन पर मौजूद सभी अधिकारी और ट्रेन चालक हैरान थे तब मौजूद मजिस्ट्रेट ने कहा कि जिन बाबा को आपने ट्रेन से उतारा है उनसे क्षमा प्रार्थना कीजिए और उन्हें सम्मान पूर्वक ट्रेन में बेठाइये. मजिस्ट्रेट की बात सुनकर रेलवे स्टाफ ने बाबा से सम्मानपूर्वक क्षमा मांगते हुए उन्हें ट्रेन में बैठाया. बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी. तभी से बाबा का नाम 'नीम करोली बाबा' (Neem Karauli Baba) पड़ गया. ऐसे ही तमाम किस्से बाबा के बहुत प्रसिद्ध है.
दूसरा किस्सा कुछ इस तरह से बताया जाता है कि बाबा के पास अद्भुत चमत्कारी शक्तियां भी थी, क्योंकि हनुमानजी की उनके ऊपर विशेष कृपा थी. कई किस्से उनके ऐसे हैं जिन्हें आप सुनकर दंग रह जाएंगे. एक बार आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया था. घी (Ghee) कम पड़ गया था जिसकी वजह से दिक्कतें बढ़ने लगी नीम करोली बाबा के भक्त उनके पास पहुंचे और कहा कि बाबा घी खत्म हो गया है, बाबा ने कहा कि जाओ नदी से 6-7 कनस्तर पानी ले आओ, बाबा की बात सुनकर भक्त पानी ले आए और कढ़ाई में डाल दिया थोड़ा ही देर बाद में पानी घी में तब्दील हो गया. बाबा का यह चमत्कार देख सभी दंग रह गए और कढ़ाई में गरमा गरम पुड़िया तलना शुरू हो गईं. फिर बाबा ने अगले दिन बाजार से 2 से 3 कनस्तर घी मंगाया और उन्हें नदी में समर्पित कर दिया.
11 सितंबर 1973 में बाबा ने वृन्दावन में त्यागे प्राण
अंतिम समय नीम करोली बाबा का वृन्दावन रहा. बाबा आगरा से नैनीताल जा रहे थे. अचानक उनकी तबियत खराब हो गयी, उन्हें वृंदावन स्टेशन पर ही उतरना पड़ा. आनन-फानन में उनके भक्त उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे और भर्ती कराया. अंत समय पर बाबा ने तुलसी और गंगाजल ग्रहण किया और 11 सितंबर 1973 को अपने प्राण त्याग दिए. वृंदावन में नीम करोली बाबा की समाधि मंदिर भी है. इसके साथ ही उत्तराखंड के पंतनगर में भी समाधि स्थल है जहां भक्तों के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. कोई भी भक्त बाबा के सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है वह खाली हाथ नहीं लौटता.
बाबा के भक्तों की लिस्ट देश ही नहीं विदेशों तक बहुत ही लंबी है. देश और विदेशों में बाबा के अनुयायी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग, क्रिकेटर विराट कोहली, अनुष्का शर्मा भी इनके भक्त हैं.
ऐसे पहुंचे कैंची धाम
यदि आप भी कैंची धाम जाने की योजना बना रहे हैं तो जानिए कैसे पहुँचे, कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल से 17 किमी दूर है, जहां आप सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते है. दिल्ली से नैनीताल की दूरी लगभग 324 किलोमीटर है. सफर तय करने में करीब साढ़े 6 घंटे का वक्त लगेगा.
सड़क मार्ग से भी सफर कर सकते हैं. आप हवाई सेवा चाहते हैं तो कैंची धाम से सबसे करीब 70 किमी दूर पंतनगर हवाई अड्डा है कैंची धाम तक पहुंचने के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी, ट्रेन से कैंची धाम का सफर तय करना है तो निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, काठगोदाम से 38 किलोमीटर दूर नीम करोली आश्रम है.