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Lohri 2024: जानिए लोहड़ी क्यों मनाई जाती है ! क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व

Happy Lohri 2024

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के एक दिन पहले लोहड़ी (Lohri) पर्व मनाया जाता है. हालांकि लोहड़ी हरियाणा (Haryana) और पंजाब (Punjab) में विशेष तौर पर मनाए जाने की परंपरा (Tradition) है. अब समय बदलते हुए हर कोई लोहड़ी एक दूसरे के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाने लगा है. इस दिन लकड़ियों का अलाव जलाकर लोकगीत गाए जाते हैं, सभी परिक्रमा करते हैं. धूमधाम से इस पर्व को सेलिब्रेट करते हैं.

Lohri 2024: जानिए लोहड़ी क्यों मनाई जाती है ! क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व
लोहड़ी 2024, फोटो साभार सोशल मीडिया
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लोहड़ी पर्व कब मनाया जाएगा

सिख समुदाय (Sikh Community) में विशेष तौर पर लोहड़ी पर्व (Lohri Festival) के मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. दरअसल इस पर्व का चलन वैसे तो पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब हर जगह धूमधाम से सभी लोग इस पर्व को मनाने लगे हैं. चलिए लोहड़ी पर्व कब मनाया जाएगा, इसके मनाने के पीछे क्या धार्मिक महत्व है और क्या कथा प्रचलित है. आग जलाकर परिक्रमा क्यों की जाती है, सभी जानकारियां आप तक इस आर्टिकल के जरिये बताएंगे.

हरियाणा और पंजाब में धूमधाम से मनाई जाती है लोहड़ी

लोहड़ी पर्व (Lohri Festival) की शुरुआत सिख समुदाय से ही हुआ है. हरियाणा और पंजाब में इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति 15 जनवरी को है इस लिहाज से लोहड़ी, मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व ही मनाई जाती है. यानी 14 जनवरी को इस बार लोहड़ी (Lohri) मनाई जाएगी. उत्तर भारत में लोहड़ी का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है. अग्नि प्रज्वलित की जाती है और भोजन अर्पित किया जाता है. इसके साथ नई फसल आने के लिए लोग प्रार्थना करते हैं. इस दिन लोग लकड़ियां एकत्र कर आग जलाते हैं. फिर लोक गीत व नृत्य भी होते हैं. इसके साथ ही परिक्रमा भी करते हैं. नाते-रिश्तेदार, मित्र सभी इस कार्यक्रम में पहुंचते हैं. नव दम्पति को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है. दरअसल उनकी पहली लोहड़ी होती है. 

शिवजी और सती से जुड़ी है कथा

लोहड़ी पर्व के पीछे कथा भी प्रचलित है. कहा जाता है राजा दक्ष (King Daksha) ने बड़ा यज्ञ कराया जिसमें समस्त देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था. केवल अपनी बेटी सती और भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा था. जिसके बाद सती ने इस अपमान को लेकर अग्नि में प्राण दे दिए. जिसके बाद गुस्से में वीरभद्र उतपन्न हुए और यज्ञ का विध्वंस कर दिया. तबसे कहा जाता है कि कोई कन्या ऐसा न करें. 

दुल्ला भट्टी की कहानी का लोहड़ी पर महत्व

एक और महत्व बताया गया है जिसमें बड़े-बुजुर्ग इस दिन दुल्ला भट्टी (Dulla Bhatti) की कहानी सुनाते हैं. इस कहानी में कहा जाता है कि अकबर के समय पर एक दुल्ला भट्टी नाम का शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ रईसजादे व्यापारी शहर की लड़कियों को बेचने का कार्य कर रहे थे, तब दुल्ला भट्टी संकट मोचन बनकर आये और उन लड़कियों को उनके चंगुल से बचाकर उनका विवाह कराया था. तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.

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