Baidyanath Jyotirling Temple: लंकापति रावण से जुड़ा है बैद्यनाथ का पौराणिक महत्व,सिद्धपीठ के साथ शक्तिपीठ रूप में भी जाना जाता है यह ज्योतिर्लिंग
Baidyanath jyotirling history
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में भी है. जिसे बाबा बैद्यनाथ कहा जाता है.सावन के दिनों में यहां लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.मंदिर का पौराणिक महत्व प्रचलित कथा दशानन रावण से जुड़ी हुई है..

हाईलाइट्स
- करिए बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन, झारखंड के देवघर में है यह ज्योतिर्लिंग
- रावण से जुड़ा हुआ है इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व,भगवान विष्णु ने की थी शिवलिंग की पूजा
- सावन के दिनों में लगता है मेला,लाखों की संख्या में उमड़ता है भक्तों का हुजूम
Special importance of visit of Baba Baidyanath : हर हर महादेव,ॐ नमः शिवाय,बोल बम के जयकारों के साथ सावन मास में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है.युगांतर प्रवाह की टीम आपको सावन के खास अवसर पर 12 ज्योतिर्लिंगों के पौराणिक महत्व और उनके दर्शन करा रहा है.
आज आप सभी को झारखंड के देवघर स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व के बारे में बताएंगे और भोलेनाथ के दर्शन भी कराएंगे. सभी प्रेम से बोलिए हर-हर महादेव
100 किलोमीटर दूर से पवित्र जल लेकर पहुंचते हैं बाबा बैद्यनाथ
प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग के नामों का जप कर लेने मात्र से ही कई दोषों का निवारण अपने आप हो जाता है.12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग जिसे बैजनाथ भी कहते हैं.यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है. देवघर का साधारण भाषा में अर्थ समझे तो देवताओं का स्थान.. सावन मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालू 100 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से पवित्र गंगा नदी का जल लेकर देवघर पहुंचते हैं. यहां मन्दिर की चोटी पर त्रिशूल नहीं बल्कि पंचशूल लगा हुआ है जो मंदिर का सुरक्षा कवच है.
दशानन रावण से जुड़ा है मन्दिर का पौराणिक महत्व
बैद्यनाथ के पौराणिक महत्व और इतिहास की बात की जाए,तो मंदिर काफी प्राचीन है. ऐसा बताया जाता है लंकापति रावण शिवजी की घोर तपस्या कर रहा था और वह अपने 10 सिर एक-एक करके शिवजी पर अर्पित करने लगा. रावण 9 सिर अर्पित कर चुका था.दसवां सिर करने जा रहा था तभी शिव जी प्रकट हुए और उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए.
रावण ने हाथ जोड़कर शिवजी से यह वरदान मांगा कि प्रभु आप मेरे साथ लंका चले. भोलेनाथ ने रावण की बात स्वीकार कर ली. लेकिन उन्होंने रावण से एक बात कही, इस शिवलिंग को किसी भी हाल में भूमि पर नहीं रखना नहीं तो वहीं स्थापित हो जाएंगे.
रावण को आई लघुशंका तो शिवलिंग थमाया चरवाहा को
फिर रावण आकाश मार्ग से शिवलिंग लेकर निकल पड़ा. कुछ ही देर बाद उसे लघुशंका लगी.लेकिन वह शिवलिंग को भूमि पर नहीं रख सकता था.पास में ही खड़े चरवाहे को उसने वह शिवलिंग पकड़ा दिया.लघुशंका करने गए रावण जब काफी देर तक वापस नहीं आए तो चरवाहे ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया और वहां से चला गया.
जब रावण लौटकर आया और देखा कि शिवलिंग भूमि पर रखा हुआ है तो हैरान हो गया और उसे भूमि से उखाड़ने का प्रयास किया लेकिन उखाड़ ना सका.निराश होकर रावण शिवलिंग पर अपना अंगूठा बनाकर लंका की ओर निकल गया.
ब्रह्ना,विष्णु और अन्य देवताओं ने की शिवलिंग की प्रतिस्थापना
ब्रह्मा, विष्णु व अन्य देवताओं ने शिवलिंग की पूजा की और वहीं प्रतिस्थापना कर दी.तबसे यह शिवलिंग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा.इस शिवलिंग को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है.बाबा वैद्यनाथ एक शक्तिपीठ भी है,ऐसा कहा जाता है माता सती का ह्रदय यहां गिरा था.सावन मास में यहां मेला भी लगता है.बाबा बैद्यनाथ को रावणेश्वर ,बैजनाथ भी कहा जाता है.
ऐसे पहुंचे बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (How to Reach Baidyanath jyotirling)
बाबा बैद्यनाथ जाने का प्लान कर रहे हैं. तो कभी भी जा सकते हैं.हालांकि सावन के दिनों में विशेष महत्व होता है और भीड़ भी बहुत होती है.यहां आप सड़क मार्ग,फ्लाइट और ट्रेन से जा सकते हैं. देवघर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है.यहां उतरकर आप टैक्सी ले सकते हैं.
ट्रेन आपको बोकारो,धनबाद या रांची से ही पकड़नी होगी,क्योंकि देवघर जंक्शन के लिए यही से ट्रेन मिलेंगी, बाहर राज्यों से आने वाले लोग भी इन्हीं स्टेशन पर उतरकर टैक्सी और बस की सेवा ले सकते हैं.देवघर में बैद्यनाथ के दर्शन के बाद ,बासुकी नाथ,त्रिकुट पर्वत भी घूम सकते हैं.