Somnath jyotirlinga : सावन स्पेशल-करिए प्रथम ज्योतिर्लिंग के दर्शन,चंद्रदेव से जुड़ा है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 11 Jul 2023 10:18 AM
- Updated 02 Oct 2023 07:45 PM
Somnath jyotirlinga : ज्योर्लिगप्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से गुजरात के सोमनाथ मंदिर की अद्भुत महिमा है. कई बार आक्रमण करके इस मंदिर को तोड़ा. लेकिन वो कहते हैं न भक्ति में शक्ति मंदिर दोबारा पूर्व की तरह ही निर्माण करवा दिया गया. समुद्र किनारे और अद्भुत नक्काशी के साथ यह सोमनाथ बाबा शिव मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. सोमनाथ के दर्शन करने मात्र से ही सभी पापों का नाश होता है.प्रचलित गाथाओं के अनुसार यह मंदिर चंद्रदेव से जुड़ा है.
हाइलाइट्स
12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग है गुजरात में सोमनाथ
चंद्रदेव से जुड़ा है मन्दिर का इतिहास, कई बार मन्दिर पर हो चुका है आक्रमण
समुद्र तट पर अद्धभुत नक्काशी के साथ बाबा सोमनाथ के मंदिर की अनूठी है महिमा
First jyotirlinga Somnath situated ocean : युगांतर प्रवाह की टीम आज आपको सावन के उपलक्ष्य पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के दर्शन के साथ ही मन्दिर के पौराणिक महत्व और इतिहास के बारे में बताने जा रही है. आखिर इसे सोमनाथ क्यों कहा जाता है, इसके पीछे क्या कथाएं प्रचलित हैं और मन्दिर की क्या मान्यताएं हैं..तो चलिए करिए बाबा सोमनाथ के दर्शन और लगाइए जयकारे हर हर महादेव के..
12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर बनें पुण्य के भागीदार
कहते हैं कि यदि कोई 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर ले तो उसके सभी पापों का नाश हो जाता है . वह हमेशा स्वस्थ,वैभव ,सुख, संपदा ,समृद्धि से संपन्न हो जाता है .भारत के अलग-अलग राज्यों में यह 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं. तो चलिए आज हम आपको बताएंगे 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के बारे में. गुजरात के काठियावाड़ स्थित समुद्र किनारे अद्भुत नक्काशी से बना ये सोमनाथ मंदिर की अद्भुत महिमा है. दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं खासतौर पर सावन के दिनों में मंदिर में दर्शन करने का विशेष महत्व है. मंदिर से सटे समुद्र को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है.
राजा दक्ष ने चंद्रदेव को दिया था श्राप
यह मंदिर कितना पुराना है इसका कोई भी जिक्र नहीं है. हालांकि कहा जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग का है.इस मंदिर का पौराणिक महत्व चंद्रदेव से जुड़ा हुआ है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थीं .जिनका विवाह चंद्रदेव से हुआ था .27 कन्याओं में से एक पुत्री रोहिणी जिन्हें चंद्रदेव ज्यादा पसंद करते थे. यह बात अन्य पुत्रियों व राजा दक्ष को पसंद नहीं आई. जिसके बाद राजा दक्ष ने चंद्रदेव को क्षयरोग का श्राप दे दिया. बताते थे कि चंद्रदेव इतने सुंदर थे कि कोई भी उन पर मोहित हो जाए. चंद्रदेव श्रापित होते ही हरतरफ शीतलता एकदम से मुरझा गई .
ब्रह्नाजी के आदेश पर भगवान शिव की करी चंद्रदेव ने पूजा,मिला वरदान
तब सभी भगवान ने ब्रह्मा जी से चंद्रदेव के इस श्राप से मुक्त होने के लिए सुझाव मांगा .जिस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि चंद्रदेव आप भगवान शिव की आराधना करें इसके बाद चंद्रदेव ने महामृत्युंजय जाप कर कठोर तपस्या की. चंद्रदेव की तपस्या देख भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रदेव को वरदान भी दिया उन्हें वरदान देते हुए कहा कि पूर्णिमा में आपको पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त होता रहेगा. शंकर जी का वरदान पाकर चंद्रदेव प्रसन्न हो उठे और उन्होंने भगवान शंकर और माता पार्वती को यहीं पर रुकने का आग्रह किया. भोलेनाथ ने भी चंद्र देव की बात स्वीकार हुए यहां रुक गए तब से यह जगह सोमनाथ के नाम से जानी जाती है और यह 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.
सोमनाथ पर कई दफा हुआ आक्रमण, तोड़ा भी गया
इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर में कई बार आक्रमण किया गया और उसे तोड़ा गया लेकिन भक्ति में शक्ति के चलते इस सोमनाथ मंदिर का निर्माण होता रहा. सरदार वल्लभ भाई पटेल से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंदिर के कायाकल्प को लेकर काफी कुछ दिया.
ऐसे पहुंचे सोमनाथ (Somnath Jyotirlinga kaise jaye)
सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए यदि आपको पहुंचना है तो आप वायु मार्ग या ट्रेन से भी जा सकते हैं. सोमनाथ से 55 किलोमीटर की दूरी पर केसड से सीधे मुंबई के लिए वायु सेवा है,केसड से सोमनाथ जाने के लिए टैक्सी भी है.रेलवे स्टेशन सोमनाथ के काफी करीब है ,7 किलोमीटर की दूरी पर वेरावल रेलवे स्टेशन है यहां पर गुजरात ,अहमदाबाद व अन्य जगह जहां पर जाने के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं. यहां पर विश्राम करने के लिए होटल, धर्मशालाओं की विशेष सुविधाएं उपलब्ध है.
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