Sakat Chauth 2022 Vrat Katha:आज है सकट चौथ का व्रत जानें पूजा समय, विधि औऱ कथा
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 21 Jan 2022 09:53 AM
- Updated 26 Mar 2023 10:46 AM
आज सकट चौथ का व्रत है, इसे तिलकूट चौथ औऱ संकष्ट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.यह व्रत माघ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल यह 21 जनवरी को मनाई जा रही है. Sakat Chauth Vrat Katha 2022
Sakat Chauth 2022:माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत पर्व मनाया जाता है. इस दिन पुत्र वती माताएं संतान की लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है.इस दिन गणेश,शंकर पार्वती जी के पूजा का विधान है. Sakat chauth vrat katha
पूजा का शुभ मुहूर्त.. Sakat Chauth puja Timing 2022
माघ कृष्ण चतुर्थी 21 जनवरी को प्रात: 08:51 बजे से लगकर कल 22 जनवरी को सुबह 09:14 बजे तक है. 21 जनवरी को मघा नक्षत्र प्रात: 09:43 बजे तक है.मघा नक्षत्र मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए आप सकट चौथ की पूजा प्रात: 09:43 के बाद करें.उसके बाद भी पूजा के लिए सौभाग्य योग बना रहेगा.
रात को चंद्रोदय के समय होने वाली पूजा क़रीब 9 बजे होगी क्योंकि आज सकट चौथ की पूजा के लिए चंद्रमा का उदय रात 09:00 बजे होगा. इस समय तक व्रत रखने वाली माताओं को इंतजार करना होगा क्योंकि बिना चंद्रमा को जल अर्पित किए पारण नहीं होता.
सकट चौथ व्रत कथा.. sakat chauth vrat katha in hindi
पौराणिक कथा में बताया गया है कि राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार रहता था. उसके मिट्टी के बर्तन सही से आग में पकते नहीं थे, जिस वजह से उसकी आय ठीक नहीं होती थी. उसने अपना समस्या एक पुजारी से कही. Sakath chauth ki katha
पुजारी ने उससे कहा कि जब मिट्टी के बर्तन पकाना हो तो, बर्तनों के साथ आंवा में एक छोटे बालक को भी डाल दो. ऐसा एक बार करने के बाद तुम्हारी समस्या दूर हो जाएगी. उसने वैसा ही किया. उस दिन सकट चौथ था. उस बालक की मां ने सकट चौथ व्रत रखा था. वह अपने बच्चे को तलाश रही थी, लेकिन वह नहीं मिला. उसे गणेश जी से उसकी रक्षा की प्रार्थना की.
उधर कुम्हार अगले दिन सुबह जब आंवा में अपने मिट्टी के बर्तनों को देखा, तो सभी अच्छे से पके थे. उसे आश्चर्य तब हुआ, जब उसने बालक को जीवित देखा. उसकी रक्षा गणेश जी ने की थी. वह डर कर राजा के दरबार में गया और सारी बात बताई. Sankasthi Vrat Katha 2022
राजा के आदेश पर बालक और उसकी माता को दरबार में आए. तब उस बालक की माता ने सकट चौथ व्रत रखने और गणेश जी से बच्चे की सुरक्षा की प्रार्थना करने वाली बात बताई. यह घटना पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई. उस दिन से सभी माताएं अपनी संतान की सुरक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगीं. सकट चौथ व्रत को संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. Sakath chauth vrat katha
उपरोक्त कथा के अलावा भी कुछ पौराणिक कथाएं औऱ भी हैं प्रचलित जिसमें गणेश जी का सिर शंकर जी द्वारा अलग करने की कथा भी है.
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