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Karwa Chauth ki katha hindi mein:करवा चौथ की कथा Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. चंद्रोदय के समय होने वाली करवा चौथ की पूजा के समय पढ़ी जाने वाली व्रत कथा जानें. Karwa chauth vrat katha hindi mein lyrics

Karwa Chauth ki katha hindi mein:करवा चौथ की कथा Karwa Chauth Vrat Katha
Karwa Chauth ki katha hindi mein: सांकेतिक फ़ोटो
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Karwa chauth ki katha hindi Mein:एक समय की बात है, सात भाइयों की एक बहन का विवाह एक राजा से हुआ। विवाहोपरांत जब पहला करवा चौथ आया, तो रानी अपने मायके आ गयी। रीति-रिवाज अनुसार उसने करवा चौथ का व्रत तो रखा किन्तु अधिक समय तक व भूख-प्यास सहन नहीं कर पा रही थी और चाँद दिखने की प्रतीक्षा में बैठी रही। उसका यह हाल उन सातों भाइयों से ना देखा गया, अतः उन्होंने बहन की पीड़ा कम करने हेतु एक पीपल के पेड़ के पीछे एक दर्पण से नकली चाँद की छाया दिखा दी। बहन को लगा कि असली चाँद दिखाई दे गया और उसने अपना व्रत समाप्त कर लिया। इधर रानी ने व्रत समाप्त किया उधर उसके पति का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। यह समाचार सुनते ही वह तुरंत अपने ससुराल को रवाना हो गयी।Karwa chauth vrat katha lyrics In hindi 

रास्ते में रानी की भेंट शिव-पार्वती से हुईं। माँ पार्वती ने उसे बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है और इसका कारण वह खुद है। रानी को पहले तो कुछ भी समझ ना आया किन्तु जब उसे पूरी बात का पता चला तो उसने माँ पार्वती से अपने भाइयों की भूल के लिए क्षमा याचना की। यह देख माँ पार्वती ने रानी से कहा कि उसका पति पुनः जीवित हो सकता है यदि वह सम्पूर्ण विधि-विधान से पुनः करवा चौथ का व्रत करें। तत्पश्चात देवी माँ ने रानी को व्रत की पूरी विधि बताई। माँ की बताई विधि का पालन कर रानी ने करवा चौथ का व्रत संपन्न किया और अपने पति की पुनः प्राप्ति की।Karwa chauth ki katha hindi mein

वैसे करवा चौथ की अन्य कई कहानियां भी प्रचलित हैं किन्तु इस कथा का जिक्र शास्त्रों में होने के कारण इसका आज भी महत्त्व बना हुआ है। द्रोपदी द्वारा शुरू किए गए करवा चौथ व्रत की आज भी वही मान्यता है। द्रौपदी ने अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था और निर्जल रहीं थीं। यह माना जाता है कि पांडवों की विजय में द्रौपदी के इस व्रत का भी महत्व था।Karwa chauth vrat katha in hindi

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