Bodheswar Mahadev: इस प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग के स्पर्श करने मात्र से असाध्य रोगों से मिलती है मुक्ति, जानिए पौराणिक महत्व
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 18 Aug 2023 09:47 AM
- Updated 02 Nov 2023 10:55 PM
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों की विशेष आस्था है.यहां मान्यता है कि बाबा के शिवलिंग के स्पर्श से ही असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है.सावन मास में यहां भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है.इस पंचमुखी शिवमंदिर को बोधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.
हाइलाइट्स
बोधेश्वर महादेव मंदिर का रहस्यमयी इतिहास,पंचमुखी शिवलिंग है स्थापित
दर्शन करने से असाध्य रोगों से मिलती है मुक्ति,सर्पों का समूह आधी रात शिवलिंग के पास पहुंचता है
भक्तों में मन्दिर की गहन आस्था,उन्नाव के बांगरमऊ में स्थित है शिव मंदिर
Ancient Bodheshwar Mahadev Temple in Bangarmau : कहते हैं कि सावन मास में विधि विधान से पूजन और ॐ नमः शिवाय का जप करने से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं,भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते है.शिव में अपार शक्ति है.देश के कोने-कोने में कई रहस्यमयी शिव मंदिरों की अपनी विशेष आस्था है.उन्नाव का यह शिव मंदिर रहस्यमयी होने के साथ ही पँचमुखी भी है.इस मंदिर के पीछे कथा भी प्रचलित है,चलिए इस शिव मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में आपको बताते हैं..
पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन का विशेष महत्व
उन्नाव के बांगरमऊ में प्राचीन शिव मंदिर है. यह मंदिर बहुत प्राचीन बताया जाता है.शिव मंदिर की बनावट बेहद अदभुत है. इसे 15 वीं शताब्दी की कलाकृति कही जाती है.इस मंदिर में जो पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है,बहुत ही अलग और दुर्लभ है. यह पत्थर 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है.नंदी और नवग्रह में जो पत्थर हैं, उन पर पाषाण काल से सम्बंधित पच्चिकारो ने अलग रूप दिया है.सावन मास में भक्तों की यहां अपार भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है.
मन्दिर को लेकर कथा है प्रचलित
मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है, कहा जाता है कि नेवल के राजा को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए,शिव जी ने उसे पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह स्थापित करने को कहा.राजा ने तत्काल ही ये कार्य प्रारंभ किया और पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह का निर्माण के लिए रथ पर इन्हें रखकर नगर की ओर ले जाने लगा.
रथ का पहिया जमीन में धंसने लगा,बोधेश्वर नाम पड़ा
तभी अचानक रथ का पहिया जमीन में धंसने लगा. रथ का पहिया निकालने का खूब प्रयास हुआ.लेकिन प्रयास असफल रहा.आखिरकार जमीन से नहीं निकाला जा सका.राजा ने फिर उसी स्थान पर शिवलिंग, नंदी और नवग्रह की स्थापना करवा दी और एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया. यह सब भगवान शिव द्वारा ही राजा को बोध कराया गया. जिसके कारण इस मंदिर को 'बोधेश्वर महादेव' कहा जाता है.
आधी रात दर्शन करने आते हैं कई सर्प,शिवलिंग के दर्शन करने से असाध्य रोग होते हैं दूर
बोधेश्वर महादेव को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि, आधी रात को काफी संख्या में सर्प शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं और फिर वह जंगल की ओर वापस चले जाते हैं. हालांकि आज तक इन सर्पों ने किसी को हानि नहीं पहुंचाई है. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन और स्पर्श करने मात्र से ही असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है. सावन और शिवरात्रि के दिन में यहां पर भक्तों का हुजूम उमड़ता है.दूर-दूर से भक्त यहां भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं.
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