Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

Amarnath Cave : सावन स्पेशल ! अमरनाथ गुफा में छिपा है अनेक पौराणिक गाथाओं का रहस्य,जानिए महत्व

Sawan 2023: सावन मास शुरू होने जा रहा है.गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन लग जाएंगे. ऐसे में भोलेशंकर को सावन मास सबसे प्रिय होता है.अमरनाथ यात्रा के लिए पहला जत्था भी जम्मू से रवाना हो गया है. 62 दिन की इस यात्रा की शुरुआत हो चुकी है.अमरनाथ गुफा में भगवान शिव का शिवलिंग स्वयं निर्मित होकर घटता-बढ़ता है, बर्फ की चादर ओढ़े इस शिवलिंग को बाबा बर्फानी भी कहते हैं.

Amarnath Cave : सावन स्पेशल ! अमरनाथ गुफा में छिपा है अनेक पौराणिक गाथाओं का रहस्य,जानिए महत्व
जानिए प्रसिद्ध अमरनाथ गुफा का इतिहास,हर हर महादेव

हाईलाइट्स

  • अमरनाथ गुफा से जुड़ी हैं अनेक पौराणिक गाथाएं,बाबा बर्फानी के दर्शन को पहुंचने लगे तीर्थयात्री
  • भोलेनाथ ने पार्वती माँ को इस गुफा में सुनाई थी अमरता की कथा
  • कबूतर के जोड़े ने भी सुन ली थी कथा हो गए अमर, बाबा अमरनाथ को बाबा बर्फ़ानी भी कहा जाता है

secret of the famous Amarnath cave : श्रीनगर से 150 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा है. यहां कई रोचक गाथाएं व कहानियां प्रचलित हैं. अमरनाथ यात्रा में सच्चे मन से आये हुए भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है. हालांकि अमरनाथ यात्रा हर व्यक्ति के लिये आसान नहीं होती है तभी कहा जाता है कि बाबा का बुलावा जिसको आता है वही अमरनाथ गुफा तक पहुंचकर बाबा बर्फानी के दर्शन पाता है. अमरनाथ गुफा से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य के बारे में आपको बताते हैं और इस गुफा की क्या कहानी है यह भी..

हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के बीच है बाबा अमरनाथ की गुफा

भगवान शिवशंकर को सावन मास सबसे प्यारा होता है. जिसकी शुरुआत 4 जुलाई से होने जा रही हैं. जम्मू से अमरनाथ यात्रा के लिए पहले जत्थे को कड़ी सुरक्षा के साथ रवाना कर दिया गया है. श्रीनगर से करीब 150 किलोमीटर दूरी पर बर्फीली पहाड़ियों से घिरी अमरनाथ गुफा है. यह यात्रा हर भक्त के लिए उतनी आसान नहीं होती है.इस गुफा में बर्फ के रूप में भगवान का शिवलिंग स्वयं निर्मित है. जो अपने अनुसार घटता-बढ़ता है. पौराणिक कथा के अनुसार अमरनाथ गुफा का रहस्य कुछ ऐसा है.

अमरता का रहस्य सुनाया था माता को

Read More: Magh Purnima Kab Hai 2025: माघी पूर्णिमा कब है? इन उपायों से होगी धन वर्षा, जानिए शुभ मुहूर्त

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती को भगवान शिव से अमरता का रहस्य सुनने की इच्छा थी, भोलेनाथ को अमरता का रहस्य सुनाने के लिए एकांत की आवश्यकता थी, जिसे कोई भी सुन न सके. भोलेनाथ एकांत के लिए बर्फ की चोटी से घिरी हिमालय की ओर पार्वती मां के साथ निकल गये और एक भव्य गुफा में पहुंचे, गुफा में पहुंचने से पहले शंकर भगवान ने नन्दी बैल को 96 किलोमीटर दूर पहलगाम में छोड़ दिया, गले में लटके सांपों को शेषनाग झील में छोड़ दिया,और पंच तत्वों का भी परित्याग कर गुफा में पहुंचे. ऐसा इसलिए किया कि उनकी अमरता रहस्य को कोई भी न सुन सके.

Read More: Navratri Paran Kab Hai 2025: चैत्र नवरात्र में पारण कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और सटीक डेट

कबूतर के जोड़ो ने सुन लिया रहस्य

Read More: Holi Me Gobar badkulla Balle Ka Mahtva: जानिए होलिका दहन में गोबर के उपलों से बनी मालाओं का क्या है महत्व?

तत्पश्चात भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य सुनाना शुरू किया.ऐसा बताते हैं कि उस गुफा में शिव-पार्वती के अलावा कबूतर का जोड़ा भी था. जिन्होंने भोलेनाथ के द्वारा सुनाए जा रहे अमरता के रहस्य को सुन लिया और वह अमर हो गए, आज भी अमरनाथ की गुफा में तीर्थयात्रियों को कबूतर का जोड़ा दिख जाएगा. 

ऐसा भी है रहस्य

वहीं अमरनाथ गुफा के इतिहास हज़ारो वर्ष पुराना है. ऐसा भी सुनने में आया है कि एक चरवाहे ने सबसे पहले इस गुफा के दर्शन किये थे. दरअसल चरवाहा गाय चराते चराते एक साधु के पास जा पहुंचा.साधु ने चरवाहे को एक पोटली दी जिसमे कोयला था, जब चरवाहा घर पहुंचा और उसने पोटली खोली तो पोटली में कोयले की जगह सोना था.

यह दृश्य देखकर वह दंग रह गया और फिर वापस वह उसी जगह पहुंचा जहां पर उसकी मुलाकात साधु से हुई थी. चरवाहा साधू को खोजने निकल पड़ा लेकिन वहां पर उसे साधू तो नहीं मिले खोजते-खोजते वह एक गुफा में जा पहुंचा.उस भव्य गुफा में बर्फनुमा शिवलिंग को देख उसने यह बता और लोगों को बताई तबसे वहां पर पूजन-पाठ शुरू हो गया जिसे आज अमरनाथ गुफा के नाम से जाना जाता है. 

खतरनाक चढ़ाई के बीच पहुंचते है अमरनाथ गुफा

अमरता की कथा के बाद से ही इस गुफा को अमरनाथ गुफा नाम से जाना जाने लगा. बर्फीली पहाड़ियों के बीच घिरी अमरनाथ गुफा में तीर्थयात्रियों का पहुंचना शुरू हो गया है.अमरनाथ गुफा में जो शिवलिंग है वह बर्फ का है जो समय से घटता-बढ़ता रहता है. भोले के भक्त खतरनाक चढ़ाई के बीच हर हर महादेव शम्भू के जयकारों के साथ गुफा की ओर दर्शन के लिए बढ़ने लगे हैं.

अमरनाथ गुफा तक कैसे पहुंचे

यदि आपअमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे हैं तो पहले आपको श्रीनगर पहुंचना होगा.यहां से कई साधन हैं जो सीधे अमरनाथ गुफा से पहले पहलगाम और बालटाल पहुंचते हैं.  बालटाल से अमरनाथ की दूरी करीब 14 किमी है. जबकि पहलगाम से इस गुफा की दूरी करीब 36 किमी है. खतरनाक चढ़ाई के बीच यात्रियों को गुफा की ओर जाना पड़ता है.चढ़ाई के लिए खच्चर पर सवार होकर भी यात्री जाते हैं, जगह-जगह रुकने के साधन भी है और खाने-पीने की व्यवस्था भी ,हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर सीआरपीएफ,मिलिट्री, पीएसी तैनात रहती है. बड़े ही सावधानी और बर्फीली चढ़ाई के बीच भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन होते है.

युगान्तर प्रवाह एक निष्पक्ष पत्रकारिता का संस्थान है इसे बचाए रखने के लिए हमारा सहयोग करें। पेमेंट करने के लिए वेबसाइट में दी गई यूपीआई आईडी को कॉपी करें।

Latest News

India Pakistan War Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा ने की थी भविष्यवाणी ! क्या भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव 2025 के महायुद्ध की ओर इशारा है? India Pakistan War Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा ने की थी भविष्यवाणी ! क्या भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव 2025 के महायुद्ध की ओर इशारा है?
भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार दोनों देशों की...
Aaj Ka Rashifal 9 May 2025: आज इन राशियों की किस्मत देगी साथ, लेकिन बहस और खर्चों से बचें-Today Horoscope In Hindi 
Fatehpur Accident News: फतेहपुर में सड़क पर बिखरी इंसानियत ! मौरंग से लदे ट्रक ने आइसक्रीम वाले को 30 मीटर तक घसीटा, दर्दनाक मौत
Mock Drill In UP: सायरन बजते ही अंधेरे में डूबा शहर और सीओ जमीन पर लेट गए ! फतेहपुर में मॉकड्रिल ने रचा युद्ध का मंजर
Fatehpur IPS Anoop Singh: फतेहपुर को मिला सख्त पुलिस कप्तान ! अनूप सिंह के तेवर देख कांपे मातहत, क्या राजनीतिक दबाव बनेगा रुकावट?
Who is Sofia Qureshi: कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी? 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान की पोल खोलने वाली भारतीय सेना की शेरनी
Operation Sindoor Kya Hai: क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’? पहलगाम हमले का लिया बदला, भारत ने 9 आतंकी ठिकानों पर दागी मिसाइलें

Follow Us