Janmashtami 2022 Gokulashtami: कृष्ण जन्माष्टमी गोकुलाष्टमी 19 अगस्त को न हो भ्रमित जान लें क्या कहता है विश्व पंचांग
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 17 Aug 2022 11:49 AM
- Updated 05 Dec 2023 07:10 AM
कृष्ण जन्माष्टमी जिसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है को लेकर लगातार लोगों के अंदर भ्रम की स्थिति देखी जा रही. कुछ लोग 18 अगस्त को तो कुछ 19 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मना रहे हैं लेकिन विश्व पंचांग के अनुसार 19 तारीख़ को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया श्रेष्ठ है. जाने शुभ मुहूर्त पूजन विधि (Krishna Janmashtami 2022 Gokulashtami 2022 Kab Hai Shubh Muhurt Date Time Puja Vidhi Katha)
Janmashtami Gokulashtami 2022 Kab Hai: भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय हुआ था. सदियों से भारत सहित विश्व भर के अधिकांश लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्म को जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाते हैं. जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी की पूजा खासकर मथुरा,वृंदावन और द्वारिका में बड़े विधि विधान से की जाती है. ऐसी मान्यता है की जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी का व्रत करने से भगवान श्री कृष्ण उनकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण कर देते हैं. इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन हो गई है. विश्व पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को जन्माष्टमी गोकुलाष्टमी मनाना श्रेष्ठकर रहेगा.
(Krishna Janmashtami 2022 Gokulashtami 2022 Kab Hai Shubh Muhurt Date Time Puja Vidhi Katha)
विश्व पंचांग के अनुसार कब है जन्माष्टमी (Janmashtami Gokulashtami 2022 Kab Hai)
जन्माष्टमी त्योहार को लेकर लगातार लोगों में इसकी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन हो गई है लेकिन विश्व पंचांग के अनुसार 19 अगस्त शुक्रवार के दिन जन्माष्टमी गोकुलाष्टमी मानने की बात कही गई है पंचांग के अनुसार रात्रि 12:43 तक अष्टमी तिथि है इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था इसलिए 12 बजे से 12 बजकर 43 मिनट तक जन्मोत्सव मनाना अति शुभ है. बताया जा रहा है कि इस बार चंद्रोदय भी रात 11.24 पर है जो एक अद्भुत संयोग उत्पन कर रहा है. मथुरा वृंदावन और द्वारिका में इसी दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा.
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जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण की पूजा की विधि (Janmashtami Pujan Vidhi Katha In Hindi)
जन्माष्टमी को भगवान श्री कृष्ण के बालस्वरूप की पूजा करना अति श्रेष्ठ होता है. कई लोग शालीग्राम की पूजा करते हैं. जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद दूध, दही, घी और पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक करें. फिर उनका श्रृंगार करें. पूजा के दौरान माखन, मिश्री और पंजीरी से भोग लगाएं. लेकिन तुलसी दल का प्रयोग भोग में अवश्य करें. इसके साथ ही वस्त्र,फल-फूल भगवान को अर्पित करें. फिर भगवान लड्डू गोपाल को पालने में झुलाएं. अंत में जिस पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक किया था उसका प्रसाद श्रद्धालुओं में बांटें और खुद भी ग्रहण करें. (Krishna Janmashtami 2022 Gokulashtami 2022 Kab Hai Shubh Muhurt Date Time Puja Vidhi Katha)
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