सवर्णों को आरक्षण का लालीपॉप दिखाकर पीठ में खंज़र भोंकने वाले हैं मोदी-सपा
मीडिया रिपोर्टों की माने तो मोदी सरकार ने सवर्ण जाति के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है, वहीं दूसरी ओर सपा ने सरकार के इस फैसले को चुनावी जुमला करार दिया है... पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट..

लोकसभा चुनाव 2019 के नजदीक आते ही मोदी सरकार सवर्णों को फिर से मनाने का काम करने लगी है। तीन हिन्दी भाषी राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार की असली वजह एस.सी.एस.टी एक्ट के तहत सवर्णों का गुस्सा माना जा रहा है। आम चुनाव के पहले सवर्णों को आरक्षण देने की बात कहीं चुनावी स्टंट तो नहीं।
एक समाचार एजेंसी के सूत्रों के हवाले से छपी खबर के अनुसार कैबिनेट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए दस फ़ीसदी आरक्षण को मंज़ूरी दी है।साथ ही येे भी बताया है कि ग़रीब सवर्णों के लिए ये कोटा आरक्षण की मौजूदा तय सीमा 50 फ़ीसदी से अलग होगा। अभी देश में कुल 49.5 फ़ीसदी आरक्षण है. अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फ़ीसदी, अनुसूचित जातियों को 15 फ़ीसदी और अनुसूचित जनजाति को 7.5 फ़ीसदी आरक्षण की व्यवस्था है।
बताया जा रहा है कि ग़रीब सवर्णों को प्रस्तावित 10 फ़ीसदी आरक्षण मौजूदा 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा। सरकार के इस फ़ैसले पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा टिप्पणी की गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सपा नेता संतोष द्विवेदी ने फैसले पर युगान्तर प्रवाह से एक्सक्लुसिव बातचीत करते हुए मोदी सरकार को जमकर घेरा।
संतोष द्विवेदी ने कहा कि मोदी के एक हाँथ में लड्डू है तो दूसरे हाँथ में खंजर है यदि हमने लड्डू के लालच में दोबारा मोदी को चुन लिया तो दोबारा मोदी के खंजर का वार हमारी पीठ पर होगा।
इसी फ़ैसले पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा सांसद व आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि- "आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिये मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है, ऐसे कई फ़ैसले राज्यों ने समय-समय पर लिए, लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फ़ैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिये एक नौटंकी है?"
अब देखने वाली बात होगी कि मोदी सरकार अपने इस फ़ैसले को अमली जामा पहना पाती है या ये एक चुनावी जुमला ही बनकर रह जाएगा।