Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

Kushotpatini Amavasya 2022 Kab Hai: अगर है पितृ दोष तो करें ये उपाय Pithori और Shani Amavasya पर बन रहा है दुर्लभ संयोग

भाद्र पद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Bhadrapada Amavasya) का विशेष महत्व है.इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी (Kushotpatini Amavasya) या कुशग्रहणी (Kushgrahni Amavasya) के साथ-साथ पिठौरी अमावस्या (Pithori Amavasya) या पिथौरी अमावस्या भी कहते हैं. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है इसलिए इसे शनैश्चरी (Shani Amavasya) अमावस्या भी कहा जाता है. (Bhadrapada Amavasya 2022 l Pithori Amavasya 2022 Kushotpatini Amavasya 2022 Kab Hai Puja Vrat Katha Date Time Importance In Hindi)

Kushotpatini Amavasya 2022 Kab Hai: अगर है पितृ दोष तो करें ये उपाय Pithori और Shani Amavasya पर बन रहा है दुर्लभ संयोग
Kushotpatini Pithori Shani Amavasya

Kushotpatini Bhadrapada Pithori Shani Amavasya: भाद्र पद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Bhadrapada Amavasya) का विशेष महत्व है.इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी (Kushotpatini Amavasya) या कुशग्रहणी (Kushgrahni Amavasya) के साथ-साथ पिठौरी अमावस्या (Pithori Amavasya) या पिथौरी अमावस्या भी कहते हैं. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है इसलिए इसे शनैश्चरी (Shani Amavasya) अमावस्या भी कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित ईश्वर दीक्षित ने बताया की इस बार 14 साल बाद भदई अमावस्या के दिन शनिवार पड़ने से शनैश्चरी अमावस्या का शुभ संयोग है.उन्होंने कहा इस दिन अपने ईष्ट का ध्यान,व्रत,पूजन,दान और पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैं

भाद्रपद अमावस्या कब है?(Kushotpatini Pithori Sani Bhadrapada Amavasya 2022 date and shubh muhurat)

पंडित ईश्वर दीक्षित के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 अगस्त दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और दूसरे दिन यानी शनिवार 27 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन होगा.उदया तिथि के कारण भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी.

Read More: Holi Me Gobar badkulla Balle Ka Mahtva: जानिए होलिका दहन में गोबर के उपलों से बनी मालाओं का क्या है महत्व?

कुशोत्पाटिनी अमावस्या क्या है?(Kushotpatini Amavasya)

Read More: Magh Purnima Kab Hai 2025: माघी पूर्णिमा कब है? इन उपायों से होगी धन वर्षा, जानिए शुभ मुहूर्त

पंडित ईश्वर दीक्षित के अनुसार भाद्र पद मास की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी या कुशग्रहणी अमावस्या  भी कहते हैं अर्थात इस दिन ही कुश को प्राप्त किया जाता है जिसका शास्त्रों में वर्णन है.इस दिन का लाया हुआ कुश वर्ष भर उपयोग में लाया जा सकता है.अन्य दिन लाया हुआ कुश उसी दिन के लिए उपयोगी होता है. उन्होंने कहा कि कुश को प्राप्त करने के लिए कुशों के समीप पूर्व या उत्तर की ओर मुह करके बैठ जाय और फिर "ऊँ हुं फट् " कहकर दाहिने हाथ से कुशों को उखाड़ ले. लेकिन ध्यान रहे कि वही कुशों को लेना चाहिए जिनका अग्रभाग कटा न हो.

Read More: Chaitra Navratri 2025: आज है नवरात्रि ! जानें घटस्थापना का मुहूर्त, व्रत नियम और राम नवमी तक का पूरा कैलेंडर

विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज।

नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव।। 

अर्थात बिना कुशा के हर पूजा निष्फल मानी जाती है.

'पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।

कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया॥'

 बायें हाथ में तीन कुश और दायें हाथ में दो कुशों की बनी हुई पवित्री (पैंती) इस मंत्र- ॐ पवित्रे स्थो वैष्णव्यौ सवितुर्व: प्रसव उत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रेण सूर्यस्य रश्मिभि:। तस्य ते पवित्रपते पवित्रपूतस्य यत्काम: पुने तच्छकेयम्॥' के साथ पहननी चाहिए।

पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।

कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया।।


(शब्दकल्पद्रुम)

शास्त्रों में दस प्रकार के कुशों का वर्णन मिलता है-

कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दका:।

गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।

इनमें से जो भी कुश इस तिथि को मिल जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए. जिस कुश में पत्ती हो, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो, वह देव तथा पितृ दोनों कार्यों के लिए उपयुक्त होता है. 

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में सूर्य के पुत्र कर्ण ने अपने पितरों के  तर्पण करने के लिए कुश को पहन कर तर्पण किया था. तब से माना जाता है कि जो भी व्यक्ति कुश पहनकर अपने पितरों का श्राद्ध करता है तो उसके पितर देव उससे तृप्त हो जते हैं.

पिथौरी या पिठौरी अमावस्या का महत्व (Pithori Amavasya)

भाद्र पद मास की अमावस्या को पिथौरी अमावस्या भी कहते हैं कहते हैं की इसका महात्मय देवी पूजा से जुड़ा है. भारत वर्ष में कई जगह पिथौरी अमावस्या (Pithori Amavasya) पर व्रत रखते हुए विधि विधान से पूजा  की जाती है. कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि सुहागिन महिलाएं ही ये व्रत कर सकती हैं.

इस व्रत को करने के लिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदियों में स्थान या फिर या फिर घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.इस दिन 64 अलग-अलग आटे का प्रयोग करते हुए 64 देवियों की प्रतिमाएं बनाकर बेसन के आटे से देवियों की श्रृंगार सामग्री जैसे बिंदी, चूड़ी, हार आदि अर्पित करनी चाहिए.

शनैश्चरी अमावस्या का महत्व (Shani Amavasya) 

भाद्र पद मास अर्थात भादों में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है यदि यही अमावस्या शनिवार (Shani Amavasya) के दिन पड़ती है तो इसका महत्म और बढ़ जाता है. इस बार 14 वर्ष बाद भाद्र पद मास की अमावस्या शनिवार को पड़ रही है जो की दुर्लभ संयोग उत्पन कर रही है क्यों की इस बार शिव योग के साथ अन्य कई योग बन रहे हैं. इस दिन स्नान ध्यान पूजा और शनि के संबंधित वस्तुओं के दान करने से शनि से मिलने वाले कष्ट दूर होते हैं

Tags:

युगान्तर प्रवाह एक निष्पक्ष पत्रकारिता का संस्थान है इसे बचाए रखने के लिए हमारा सहयोग करें। पेमेंट करने के लिए वेबसाइट में दी गई यूपीआई आईडी को कॉपी करें।

Latest News

India Pakistan War Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा ने की थी भविष्यवाणी ! क्या भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव 2025 के महायुद्ध की ओर इशारा है? India Pakistan War Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा ने की थी भविष्यवाणी ! क्या भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव 2025 के महायुद्ध की ओर इशारा है?
भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार दोनों देशों की...
Aaj Ka Rashifal 9 May 2025: आज इन राशियों की किस्मत देगी साथ, लेकिन बहस और खर्चों से बचें-Today Horoscope In Hindi 
Fatehpur Accident News: फतेहपुर में सड़क पर बिखरी इंसानियत ! मौरंग से लदे ट्रक ने आइसक्रीम वाले को 30 मीटर तक घसीटा, दर्दनाक मौत
Mock Drill In UP: सायरन बजते ही अंधेरे में डूबा शहर और सीओ जमीन पर लेट गए ! फतेहपुर में मॉकड्रिल ने रचा युद्ध का मंजर
Fatehpur IPS Anoop Singh: फतेहपुर को मिला सख्त पुलिस कप्तान ! अनूप सिंह के तेवर देख कांपे मातहत, क्या राजनीतिक दबाव बनेगा रुकावट?
Who is Sofia Qureshi: कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी? 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान की पोल खोलने वाली भारतीय सेना की शेरनी
Operation Sindoor Kya Hai: क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’? पहलगाम हमले का लिया बदला, भारत ने 9 आतंकी ठिकानों पर दागी मिसाइलें

Follow Us