Kashi Vishwanath Jyotirling : काशी के अधिनायक और संसार के सबसे बड़े मरघट के राजा की कहानी, जानिए पौराणिक महत्व
वाराणसी की काशी नगरी भगवान शंकर को सबसे ज्यादा प्रिय है.गंगा तट पर स्थित काशी नगरी शिव शंकर ने ही बसाई है.माता पार्वती और भोलेनाथ यहां सावन के दिनों में विराजते हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ भी है.जिसे विश्वेश्वर भी कहते हैं,यहां गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति मिलती है.

हाईलाइट्स
- 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, अद्धभुत है काशी की महिमा
- उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा तट पर काशी विश्वनाथ मन्दिर के दर्शन करने का है महत्व,मिलता है म
- सावन के दिनों में देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्तों का उमड़ता है सैलाब
Kashi Vishwanath Jyotirlinga in Varanasi : हर-हर महादेव के जयकारों के साथ पवित्र नदियों का जल लेकर कावंड़िये सावन के दिनों में बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी पहुंचने लगे हैं.काशी नगरी तो हमेशा से ही शिवमय रहती है. सावन के दिनों में काशी विश्वनाथ का महत्व और बढ़ जाता है.आज हम बात करेंगे वाराणसी के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की और आपको बाबा के दर्शन के साथ ही यहां के इतिहास और पौराणिक महत्व को बताएंगे.
मोक्षदायिनी गंगा नदी तट पर बाबा विश्वनाथ का मंदिर,त्रिशूल पर टिकी काशी
12 ज्योतिर्लिगों में से एक ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ भी है.कहते हैं कि 12 ज्योतिर्लिंगों में साक्षात शिव रहते हैं.उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के पावन तट पर बसी काशी नगरी का जिक्र पुराणों, महाभारत और उपनिषदो में भी है. इसलिए इसे काशी विश्वनाथ भी कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर के त्रिशूल की नोक पर टिकी है काशी नगरी.ऐसी मान्यता है कि यहां गंगा स्नान कर बाबा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.
देश-विदेश से भक्तों का उमड़ता है हुजूम
वैसे तो प्रत्येक दिन काशी में भक्तों की भीड़ बनी रहती है.सावन के दिनों में तो यह भीड़ कई गुना बढ़ जाती है. देश-विदेश से भक्तों का यहां सैलाब उमड़ता है.कावंड़िये देश के कोने-कोने से नदियों का जल लेकर यहाँ पहुंचते हैं. शिव की यह नगरी अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है.काशी विश्वनाथ को विश्वेश्वर भी कहा जाता है.
माता पार्वती ने की थी भोलेनाथ से मन में इच्छा प्रकट
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व और इतिहास की बात करें, तो यहां साक्षात माता पार्वती और भोलेनाथ विराजते हैं. भगवान शंकर ने जब माता पार्वती से विवाह किया था, उपरांत भोलेनाथ कैलाश की ओर चले गए थे .जबकि माता अपने पिता के घर पर ही थीं. माता को अपने पिता के यहां रुकना अच्छा नहीं लग रहा था, तो उन्होंने अपने मन की इच्छा भोलेनाथ से प्रकट की. भोलेनाथ माता पार्वती को काशी नगरी ले गए.तभी से यहां भोलेनाथ विराजमान हो गए.
मुगल शासकों ने किया कई बार आक्रमण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का जिक्र पुराणों में भी है.यहां शंकराचार्य, गोस्वामी तुलसीदास ,रामकृष्ण परमहंस जी दर्शन कर चुके हैं. मुगल शासकों ने मन्दिर पर कई बार आक्रमण किया. जिसके बाद मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए महारानी अहिल्याबाई होल्कर को भी जाना जाता है. इसके बाद कई राजा-महाराजाओं ने यहां पूजन पाठ शुरू किया.
काशी में मिलता है मोक्ष
ऐसा भी कहा जाता है, बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले उनके गण भैरवनाथ के दर्शन करना अनिवार्य है. यदि ऐसा नहीं होता है तो दर्शन करने का लाभ नहीं मिलता.इसलिए भैरव नाथ के दर्शन अनिवार्य है. काशी को मोक्षदायिनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति संसार के सभी मोह को छोड़कर यहां आता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.यही कारण है कि संसार के कई लोग अपना आखिरी समय काशी में गुजारते हैं.
काशी विश्वनाथ के लिए ऐसे पहुंचे
वाराणसी के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग पहुंचने के लिए काफी सुगम व्यवस्थाएं और साधन है. अपने निजी वाहन से भी यात्रा कर सकते हैं ,ट्रेनें बस और फ्लाइट की भी सुविधाएं उपलब्ध है.काशी में धर्मशालाएं सस्ते से लेकर महंगे होटल और लॉज उपलब्ध है. खाने की स्वादिष्ट शुद्ध व उत्तम व्यंजन भी यहां के मशहूर है.