Patna Shukla Real Story In Hindi: छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ पर आधारित है पटना शुक्ला ! आखिरी बार दिखेंगे स्वर्गीय अभिनेता सतीश कौशिक
पटना शुक्ला हिंदी फिल्म
अभिनेत्री रवीना टण्डन (Ravina Tondon) एक बार फिर से अपने नए अवतार में नजर आने वाली है. दरअसल पटना शुक्ला रिलीज (Released Patna Shukla) हो चुकी है. रवीना फ़िल्म में गृहिणी की भूमिका निभा रही है जो पैसे से एक वकील (Advocate) भी है हालांकि वह अपनी वकालत भरी जिंदगी में रोज स्ट्रगल करती है लेकिन परीक्षा के रिजल्ट में हो रही धांधली के खिलाफ वह आवाज बुलंद करते हुए छात्रों के भविष्य के लिए लड़ रही है इस बीच उन्हें बहुत सी कठिनाइयां भी फेस करनी पड़ती है आईए जानते हैं कैसी है.

पटना शुक्ला की कहानी जानिए
यह कहानी एक आम गृहिणी की है. वहीं इस फ़िल्म में एक विश्वविद्यालय (University) में हो रही परीक्षा के दौरान रोल नंबर के साथ छेड़छाड़ व छात्रों के भविष्य (Future) के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बताते चले की यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म disney+ हॉटस्टार (Disney+ hotstar) पर स्ट्रीम हो रही है. जानते हैं क्या है पटना शुक्ला की कहानी. दरअसल पटना शुक्ला यानी रवीना टंडन (Ravina Tondon) एक ग्रहणी होने के साथ-साथ तन्वी शुक्ला नाम की वकील का भी क़िरदार निभा रही है.
इस बीच उनके पास एक क्लाइंट के रूप में एक छात्र आती है जो बताती है कि उसकी मार्कशीट के साथ छेड़छाड़ कर उसे फेल किया गया है जबकि उसने सारे एग्जाम अच्छे से दिए थे, तब तन्वी शुक्ला यानी कि रवीना टंडन छात्रा का केस लड़ने के लिए हां कर देती है. इस केस को हाथ में लेते ही उनकी जिंदगी बदल जाती है जिसके चलते सत्ताधारी नेताओ के द्वारा उन पर कैस न लेने का दबाव भी बनाया जाता है जिसका खामियाजा उनके पूरे परिवार को झेलना पड़ता है.
फ़िल्म में सभी का अभिनय है कमाल
इस फिल्म का सबसे मुख्य किरदार निभाने वाले दिवंगत अभिनेता सतीश कौशिक (Satish Kaushik) ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. जज (Judge) के रूप में वह काफी क्यूट दिखाई दे रहे हैं बात की जाए उनकी एक्टिंग की तो इस पर भी कोई संदेह नहीं है रवीना टंडन ने भी अपने इस रोल को बखूबी निभाया है वही उनके पति की भूमिका निभा रहे अभिनेता मानव विज और पिता बने अनुपम खेर के भाई, राजू खेर ने भी अपने दमदार अभिनय के जरिए दर्शकों को बांधने की पूरी कोशिश की है.
छात्रों के भविष्य पर आधारित है ये फ़िल्म
इस फिल्म को खासतौर पर छात्र-छात्राओं की जिंदगी पर आधारित कहानी पर बनाया गया है जिसे देखकर एक बार छात्रों को यही लगेगा कि वह अपनी खुद की कहानी बड़ी स्क्रीन पर देख रहे है क्योंकि कई बार ऐसा देखा जाता है कि एग्जाम के समय छात्र-छात्राएं काफी मन लगाकर पढ़ते हैं लेकिन जब रिजल्ट मिलता है तो उन्हें लगता है कि उनके साथ खेल किया गया है क्योंकि कभी-कभी उनके मार्क्स काफी कम होते हैं लगभग 2 घंटे 30 मिनट की इस पिक्चर में संगीत कुछ खास नहीं है लेकिन फिर भी कहानी समझने लायक है.