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Makar Sankranti 2023 Date : इस बार मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी

Makar Sankranti 2023 Date : इस बार मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी
Makar Sankranti 2023 Date

Makar Sankranti 2023 Date मकर संक्रांति पर्व का हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है. हर साल यह पर्व 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. खगोलीय स्थिति के अनुसार मनाया जाने वाला यह पर्व 2023 में कब मनाया जाएगा. आइए जानते हैं.

Makar Sankranti 2023 Date : मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 या 15 जनवरी के दिन पड़ता है.सूर्य की चाल पर आधारित इस पर्व का हिन्दू धर्म शास्त्रों में बड़ा ही महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान,गरीबों को दान आदि देने का महत्व बताया गया है.

हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी दिन शनिवार को सूर्य देव रात 8 बजकर 14 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी वजह से लोगों में इसकी तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है. दरअसल रात्रि प्रहर में स्नान, दान-धर्म के कार्य वर्जित होते हैं, इसलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना सही नहीं है. उदिया तिथि के चलते अगले दिन यानी 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाएं.

15 जनवरी को मकर संक्रांति पर सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा. इस अवधि में स्नान, दान-धर्म के कार्य बहुत ही शुभ माने जाते हैं.चूंकि मकर संक्रांति का पर्व रविवार के दिन पड़ रहा है तो इससे त्योहार का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि यह वार सूर्य देव को ही समर्पित है.

इसके अलावा, इस दिन दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा और दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा.

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मकर संक्रांति का महत्व..

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इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद स्नान दान करने का बड़ा महत्व है. इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें, सूर्य के बीज मंत्र का जप करें. श्रीमद्भागवत गीता के एक अध्याय का पाठ जरूर करें. इस दिन शनिदेव से जुड़ा दान करने का भी विशेष महत्व हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. इसे लेकर एक पौराणिक कथा और है.

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कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार करके उन पर विजय प्राप्त की थी. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा कई जगहों पर इस पर्व को पतंग उड़ाकर भी मनाया जाता है.

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