Holi Me Rang Kyu Khelte Hai: जानिए क्यों मनायी जाती है होली ! क्यों खेला जाता है होली पर रंग, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व?

होली में रंग क्यों खेलते हैं

रंगों (Colours) का पर्व होली (Holi) का त्यौहार की तैयारियां (Preparation) जोरों-शोरों से देश भर में चल रही है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है. 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा. सबके मन में एक सवाल होगा आखिर होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. और रंग क्यों खेला जाता है चलिए आपके हर सवालों का जवाब हम अपने इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे की होली का त्यौहार के पीछे क्या कथा प्रचलित है और इस त्यौहार में रंगों का क्या महत्व है.

Holi Me Rang Kyu Khelte Hai: जानिए क्यों मनायी जाती है होली ! क्यों खेला जाता है होली पर रंग, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व?
होलिका दहन, image credit original source

फाल्गुन की फुहार के साथ होली की हो रही तैयारियां

फाल्गुन की फ़ुहार शुरू हो चुकी है. होली (Holi) के पर्व का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. जिसको लेकर हर जगह तैयारियां भी शुरू हो गई है. चौराहों पर होलिकाएँ रखी जाने लगी है. होलिका दहन के बाद अगले दिन रंग (Colours) खेला जाता है. सभी एकदूसरे के साथ अबीर-गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं. मिष्ठान, गुझिया और नमकीन मटरी के साथ पर्व मनाते हैं. होली के पर्व को लेकर कई कथाएं और कहानियां (Stories) प्रचलित हैं. खासतौर पर जो कहानी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वो कहानी प्रह्लाद से जुड़ी हुई है. (Holi Me Rang Kyu Khelte Hai)

भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है मान्यता

होली का पर्व मनाने के पीछे एक कथा प्रचलित है हिरण्यकश्यप (Hirnaykashyap) और प्रह्लाद (Prahalad) से जुड़ी हुई है. दरअसल प्रहलाद विष्णु (Lord Vishnu) भक्त थे और पिता हिरण्यकश्यप खुद को ही देवता समझता था. वह चाहता था कि उसकी पूजा सब करें. लेकिन प्रहलाद तो छोटी उम्र से ही भगवान श्री हरि का नाम ही मन में बसा चुके थे.

उनके विष्णु प्रेम को देखते हुए हिरण्यकश्यप ने उसे कई बार कड़ी यातनायें दीं. यही नहीं हर बार उसे षड्यंत्र के साथ मारना चाहा. लेकिन प्रहलाद की भक्ति के आगे हिरण्यकश्यप की एक न चली. प्रहलाद हर समय सिर्फ मन में और मुंह पर एक ही नाम भगवान विष्णु का ही जपता रहता था. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मन्त्र जपते रहते थे. जिससे प्रसन्न होकर हमेशा विष्णु जी भक्त प्रहलाद की रक्षा करते थे.

वरदान पाकर हिरण्यकश्यप घमंड में था चूर

हिरण्यकश्यप का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा था, दरअसल हिरण्यकश्यप ने कड़ी तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था कि उसकी मृत्यु न मानव, न देवी-देवताओं, न राक्षसों-दानवों और न घर के भीतर-न बाहर, न आसमान- न धरती, न पशु, न दिन और न रात में, न अस्त्र और न शस्त्र से उसकी मृत्यु हो. इस वरदान के पाते ही उसके अंदर घमंड उत्पन्न होने लगा और वह चाहता था कि लोग उसकी पूजा करने लगे. खुद को भगवान समझने लगा. हर बार हिरण्यकश्यप प्रहलाद को समाप्त करने का प्रयास करता लेकिन उसका यह प्रयास असफल साबित हो जाता.

Read More: Narsimha Jayanti 2024: कब है नरसिंह जयंती ! भक्त प्रह्लाद की रक्षा और राक्षस हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का अंत करने के लिए भगवान ने धारण किया नरसिंह अवतार

फिर उसने अपनी बहन होलिका को इस कार्य को सौंपा. होलिका को भी वरदान था कि आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. फिर क्या था प्रहलाद अपनी बुआ होलिका की गोद में बैठ जाते हैं और आंखें बंद कर केवल श्री हरि का ध्यान करते हैं कुछ ही देर बाद अचानक आग उत्पन्न हो जाती है जिससे प्रहलाद बिल्कुल सुरक्षित रहते हैं लेकिन होलिका जलकर भस्म हो जाती है तभी से यह होलिका दहन मनाया जाने लगा.

Read More: Chaitra Navratri Par Laung Ke Totke: चैत्र नवरात्रि पर आजमाएं लौंग के टोटके व उपाय ! बन जाएंगे बिगड़े और रुके काम

colourful_holi_festival_2024
रंगों का पर्व, image credit original source
रंगों के पर्व की मान्यता, श्री कृष्ण से जुड़ी है मान्यता

होलिका दहन के बाद रंगों का पर्व होली खेलते है जिसे लोग हंसी-खुशी एक दूसरे के साथ रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं. यही नहीं मिठाई और गुजिया खाकर यह पर्व मनाते हैं रंगों के पीछे श्री कृष्ण से जुड़ी एक कथा प्रचलित है. श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है ऐसा कहा जाता था कि श्री कृष्ण भगवान माता यशोदा से हर बार पूछा करते थे मैया में इतना सांवला हूं और राधा गोरी क्यों है. हर बार यशोदा माता श्री कृष्ण जी की बात को टाल देती थी एक दिन उन्होंने कहा था कि तुम्हारा रंग सावला है तो अपने इस रंग का रंग राधा के लगा दो.

Read More: Kharmas 2024 Kab Se Hai: लगने जा रहे खरमास ! मांगलिक कार्यों पर एक माह तक विराम, जानिए खरमास का महत्व?

बस फिर क्या श्री कृष्ण भगवान अपने मित्रों की टोली के साथ ब्रज में राधा रानी को रंग लगाने पहुंच गए और कई रंग तैयार किये. बृजवासियों को भी श्री कृष्ण का रंग लगाना काफी पसंद आया इसके बाद से रंगों का यह उत्सव होली के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा एक बात और सामने आती है की होली का रंग इसलिए और लगाया जाता है कि जिससे जात-पात, ऊंच-नीच का भेद भाव भी खत्म हो सके. सब मिलजुलकर आपसी सौहार्द के साथ पर्व मनाएं.

युगान्तर प्रवाह एक निष्पक्ष पत्रकारिता का संस्थान है इसे बचाए रखने के लिए हमारा सहयोग करें। पेमेंट करने के लिए वेबसाइट में दी गई यूपीआई आईडी को कॉपी करें।

Latest News

Fatehpur Lok Sabha Voting 2024: फतेहपुर में फंस गया चुनाव ! आपसी अंतर्द्वंद्व ने कम कर दिया जीत का आंकड़ा, सवर्ण मतदाता हुआ निर्णायक Fatehpur Lok Sabha Voting 2024: फतेहपुर में फंस गया चुनाव ! आपसी अंतर्द्वंद्व ने कम कर दिया जीत का आंकड़ा, सवर्ण मतदाता हुआ निर्णायक
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में मतदान के बाद जो आंकड़े निकल कर आएं हैं वो बेहद चौकाने...
Chandu Champion Trailer Released: कार्तिक आर्यन की 'चंदू चैंपियन' का ट्रेलर आया सामने ! जानिए फ़िल्म की कहानी क्या है..
Delhi Metro Viral Dance: REEL के लिए दिल्ली मेट्रो के अंदर युवती ने किया अश्लील डांस, यूजर्स बोले रील के लिए कुछ भी..
Fatehpur LokSabha Voting Live: फतेहपुर में जारी है मतदान ! जहानाबाद पहुंची भाजपा प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति ने सपा पर लगाया जानलेवा हमला करने का आरोप
Fatehpur News: फतेहपुर में लोकसभा चुनाव ड्यूटी में लगे होमगार्ड की मौत! पोलिंग पार्टी स्थल पर लगा था जवान
Ghaziabad Crime In Hindi: रिश्ते हुए तार-तार ! 13 वर्षीय बहन के साथ दो भाई करते रहे गैंगरेप, गर्भवती होने के बाद हुआ खुलासा
Agra News: जूता व्यापारी की अपार संपत्ति देख अधिकारी भी हैरान ! इनकम टैक्स की कई ठिकानों पर रेड, 40 करोड़ रुपयों की हो चुकी है बरामदगी

Follow Us